script84 महादेव सीरीज की 22वीं कड़ी, आज पढ़िए कैसे मिलता है देवलोक | 84-mahadev-series- Krkteshwar Mahadev temple ujjain | Patrika News
MP Religion & Spirituality

84 महादेव सीरीज की 22वीं कड़ी, आज पढ़िए कैसे मिलता है देवलोक

चौरासी महादेवों की शृंखला में बाइसवें क्रम पर श्री कर्कटेश्वर महादेव का मंदिर आता है। इनके दर्शन-पूजन करने से मनुष्य देवलोक में वास करता है।

Aug 19, 2016 / 12:25 pm

Lalit Saxena

84-mahadev-series- Krkteshwar Mahadev temple ujjai

84-mahadev-series- Krkteshwar Mahadev temple ujjain

उज्जैन. चौरासी महादेवों की शृंखला में बाइसवें क्रम पर श्री कर्कटेश्वर महादेव का मंदिर आता है। इनके दर्शन-पूजन करने से मनुष्य देवलोक में वास करता है। श्रावण मास में पत्रिका डॉट कॉम के जरिए आप चौरासी महादेव की यात्रा का लाभ ले रहे हैं।

कैसे हुई इनकी स्थापना
श्री कर्कटेश्वर महादेव की स्थापना की कहानी राजा धर्म मूर्ति और पिछले जन्म में उनकी केकड़ा योनि से स्वर्ग प्राप्ति की महिमा से जुडी है। कथा में सुकर्म एवं शिवालय का माहात्म्य दर्शाया गया है।

कर्कटियोनि मुक्तस्य प्राप्तं स्वर्गं सुखं यत:।
कर्कटेश्वर नामायमतो लोके भविष्यति।।

ये राजा इच्छानुसार अपना शरीर धारण करते थे
प्राचीन काल में धर्म मूर्ति नामक प्रतापी राजा थे। इंद्र की सहायता से उन्होंने सैकड़ों दैत्यों का संहार किया। तेजस्वी राजा इच्छानुसार अपना शरीर बनाने में सक्षम थे एवं सदा युद्ध में विजयी होते थे, जिससे उनकी कीर्ति समस्त दिशाओं में फैली हुई थी। उनकी पत्नी भानुमति थी जो उनकी दस हजार रानियों में श्रेष्ठ थीं वह सदैव धर्म परायण रहती थी। पूर्ण वैभव, कीर्ति और सुख से सुसज्जित राजा ने एक बार महर्षि वशिष्ठ से पूछा कि मुझे कीर्ति व उत्तम लक्ष्मी स्त्री किस कृपा व पुण्य से प्राप्त हुई है।


karkreshwar mahadev

यमराज ने आपको केकड़े का जन्म दिया
वशिष्ठ मुनि बोले पूर्व जन्म में आप शुद्र राजा थे और कई दोषों से युक्त थे। आपकी यह स्त्री भी दुष्ट स्वभाव वाली थी। जब आपने शरीर त्यागा तब आप नरक में गए, जहां कई यातनाएं सहनी पड़ीं। अनेक यातनाओं के बाद आपको यमराज ने केकड़े के रूप में जन्म दिया और आप महाकाल वन के रुद्रसागर में रहने लगे। 

पांच वर्ष तक रहे रुद्रसागर में
महाकाल वन स्थित रुद्रसागर में जो मनुष्य दान, जप, तप आदि करता है वो अक्षय पुण्य को प्राप्त होता है। पांच वर्ष तक आप उसमें रहे फिर जब बाहर निकले तब एक कौआ अपनी चोंच में भरकर आसमान में उडऩे लगा। तब आपने पैरों से कौवे से बचने के लिए प्रहार किए, जिसके फलस्वरूप आप उसकी चोंच से छूट गए। कौवे की चोंच से छूट आप स्वर्गद्वारेश्वर के पूर्व में स्थित एक दिव्य लिंग के पास गिरे और गिरते ही उस दिव्य लिंग के प्रभाव से आपने केकड़े का देह त्याग दिव्य विद्याधर के समान देह प्राप्त की। 


शिवलिंग के प्रभाव से दोषमुक्त हुए
फिर जब आप अन्य शिवगणों के साथ शामिल हो स्वर्ग की ओर जा रहे थे, तभी मार्ग में देवताओं ने शिवगणों से आपके बारे में पूछा। तब उन शिवगणों ने शिव लिंग के प्रभाव से आपके केकड़ा योनि से मुक्त होने के बारे में बताया, तभी से इस दिव्य लिंग का नाम कर्कटेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसी लिंग के माहात्म्य के कारण ही आपको पहले स्वर्ग की और फिर राज की प्राप्ति हुई है। महर्षि की बातें सुनकर राजा तुरंत महाकाल वन स्थित स्वर्गद्वारेश्वर के पूर्व स्थित शिवालय पहुंचे और वहां ध्यानमग्न हो गए।

अष्टमी-चतुर्दशी पर करें दर्शन
्रजो भी श्रद्धालु कर्कटेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं, उनके योनि दोष दूर होते हैं एवं वे शिवलोक को प्राप्त करते हैं। यहां दर्शन बारह मास में कभी भी किए जा सकते हैं लेकिन अष्टमी और चतुर्दशी के दिन दर्शन का विशेष महत्व है। उज्जयिनी स्थित चौरासी महादेव में से एक श्री कर्कटेश्वर महादेव का मंदिर खटिकवाड़ा में स्थित है।

Hindi News / MP Religion & Spirituality / 84 महादेव सीरीज की 22वीं कड़ी, आज पढ़िए कैसे मिलता है देवलोक

ट्रेंडिंग वीडियो