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बाबा बैद्यनाथ धाम: कैदी सजाते हैं बाबा का “श्रृंगार”, अंग्रेज जेलर था भक्त

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक बाबा बैद्यनाथ धाम स्थित शिवलिंग पर श्रृंगार हेतु सजने वाला
“पुष्प नाग मुकुट” जेल में तैयार होता है

Aug 10, 2015 / 11:43 am

सुनील शर्मा

baba baidyanath dham mandir deoghar

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जेल का नाम सुनते ही मन में खूंखार कैदियों की तस्वीर सामने आ जाती है, लेकिन यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड के देवघर यानी बाबा बैद्यनाथ धाम में स्थित शिवलिंग पर श्रृंगार पूजा में सजने वाला “पुष्प नाग मुकुट” यहां की जेल में ही तैयार किया जाता है।

कामना लिंग के नाम से विश्व प्रसिद्ध बाबा नागेश्वर के सिर पर श्रृंगार पूजा के समय प्रतिदिन फूलों और बेलपत्र से तैयार किया हुआ “नाग मुकुट” पहनाया जाता है। यह नाग मुकुट देवघर की जेल में कैदियों द्वारा तैयार किया जाता है। इस पुरानी परंपरा का निर्वहन आज भी कैदी बड़े उल्लास से करते हैं।



बाबा बैद्यनाथ धाम के शीर्ष पुरोहित पंडित दिवाकर मिश्र ने बताया, “यह पुरानी परंपरा है। कहा जाता है कि आजादी के पहले एक अंग्रेज जेलर था। उसके पुत्र की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई। उसकी हालत बिगड़ती देख लोगों ने जेलर को बाबा के मंदिर में “नाग मुकुट” चढ़ाने की सलाह दी। जेलर ने लोगों के कहे अनुसार ऎसा ही किया और उनका पुत्र ठीक हो गया। तभी से यहां यह परंपरा बन गई।”



उन्होंने कहा कि इसके लिए जेल में भी पूरी शुद्धता और स्वच्छता से व्यवस्था की जाती है। जेल के अंदर इस मुकुट को तैयार करने के लिए एक विशेष कक्ष है, जिसे लोग “बाबा कक्ष” कहते हैं। यहां पर एक शिवालय भी है। देवघर के जेल अधीक्षक आशुतोष कुमार बताते हैं कि यहां मुकुट बनाने के लिए कैदियों की दिलचस्पी देखते बनती है।



उन्होंने कहा कि मुकुट बनाने के लिए कैदियों को समूहों में बांट दिया जाता है। प्रतिदिन कैदियों को बाहर से फूल और बेलपत्र उपलब्ध करा दिया जाता है। कैदी उपवास रखकर बाबा कक्ष में नाग मुकुट का निर्माण करते हैं और वहां स्थित शिवालय में रख पूजा-अर्चना करते हैं।

शाम को यह मुकुट जेल से बाहर निकाला जाता है और फिर जेल के बाहर बने शिवालय में मुकुट की पूजा होती है। इसके बाद कोई जेलकर्मी इस नाग मुकुट को कंधे पर उठाकर “बम भोले, बम भोले”, “बोलबम-बोलबम” बोलता हुआ इसे बाबा के मंदिर तक पहुंचाता है।

उधर, कैदी भी बाबा का कार्य खुशी-खुशी करते हैं। कैदियों का कहना है कि बाबा की इसी बहाने वह सेवा करते हैं, जिससे उन्हें काफी सुकून मिलता है।

पंडित दिवाकर बताते हैं कि शिवरात्रि को छोड़कर वर्ष के सभी दिन श्रृंगार पूजा के समय नाग मुकुट सजाया जाता है। शिवरात्रि के दिन भोले बाबा का विवाह होता है। इस कारण यह मुकुट बाबा बासुकीनाथ मंदिर भेज दिया जाता है।


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