रायपुर। बलरामपुर जिले के चांदो थाने के जोधपुर गांव की 20 वर्षीय स्तुति को आखिरकार पुलिस ने मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त करा लिया। मानव तस्करों के खिलाफ पत्रिका की मुहिम के बाद पुलिस हरकत में आई और इलाके में सक्रिय तस्कर तरसीयूस को लेकर दिल्ली रवाना हुई थी। शुक्रवार की शाम पुलिस ने दिल्ली विधानसभा के पीछे सिविल लाइंस स्थित एक कोठी में एक वृद्धा के साथ अंधेरे कमरे में रह रही स्तुति को अपने कब्जे में लिया।
target="_blank" href="http://www.patrika.com/news/raipur/raipur-they-find-daughters-to-delhi-get-desolation-1048495/" rel="noopener">ये भी पढ़ेंः मानव तस्करी : वे दिल्ली जाते हैं बेटियों को खोजने, मिलती है मायूसी target="_blank" href="http://www.patrika.com/news/raipur/raipur-daughters-to-trafficking-in-chhattisgarh-1047925/" rel="noopener">ये भी पढ़ेंः भारत दर्शन और शादी की आड़ में बेटियों की तस्करी target="_blank" href="http://www.patrika.com/news/raipur/raipur-human-trafficking-in-chhattisgarh-1047356/" rel="noopener">ये भी पढ़ेंः कापू मानव तस्करी का टापू
इस दौरान जयपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता वैभव भंडारी और तेजस राजपुरोहित भी मौजूद थे। पुलिस की कार्रवाई के दौरान स्तुति ने बताया, दिन हो रात उसे कोठी का सारा काम करना पड़ता था। वह कई सालों से वह सोयी नहीं थी। उसे खाने के लिए खराब खाना दिया जाता था जिसकी वजह से बीमार भी हो गई थी।
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कोठी को छोडऩे के पहले स्तुति ने वृद्धा से अपना मेहनताना मांगा जिसे लेकर हील-हुज्जत हुई। आखिरकार वृद्धा ने यह माना कि स्तुति के 53 हजार रुपए उसके पास जमा है। लगभग चार सालों से एक घर में कैद स्तुति को 53 हजार रुपए का मेहनताना दे दिया गया, लेकिन यदि इसे एक माह के वेतन से जोड़कर देखे तो छत्तीसगढ़ की एक बेटी महज 11 सौ चार रुपए के मासिक वेतन पर दिल्ली में कार्य कर रही थी।
Hindi News / Special / पत्रिका की खबर का इम्पैक्टः मानव तस्करों के चंगुल से स्तुति मुक्त