श्योपुर. मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के गोलीपुरा में 18 और आदिवासी विकासखण्ड कराहल में 19 बच्चों की कुपोषण से मौत के बाद 10 टीमों ने तीन दिन में 66 गांवों की खाक छानी। इस दौरान टीम को 240 कुपोषित बच्चे और मिले हैं। इनमें से 83 अति कुपोषित हैं।
इन बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जाएगा। एनआरसी में उपचार के लिए दूसरे जिलों से नौ डॉक्टर, सात एएनएम की तैनाती की गई है। बुधवार को टीमों ने क्लीनिकल सर्वे किया। 3 दिन में 10 टीमों ने कराहल के 66 गांव में 1315 बच्चों की स्क्रीनिंग की।
एनआरएचएम की डायरेक्टर डॉ. प्रज्ञा तिवारी ने बताया कि प्रत्येक टीम में एक चिकित्सक, एक हेल्थ एवं न्यूट्रीशन विशेषज्ञ, एक फीडिंग डिमोस्ट्रेटर, एक एएनएम आदि को रखा गया है। एक महिला बाल विकास सुपरवाइजर तथा हेल्थ सुपरवाइजर को शामिल किया गया है।
सिंधिया ने लिखा पत्र
श्योपुर में कुपोषण से बच्चों की मौत के जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई के लिए गुना-शिवपुरी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी को पत्र लिखा है। उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई करें। ताकि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं, उनके स्वास्थ्य के साथ इस प्रकार का खिलवाड़ न हो सके।
सिंधिया ने पत्र में उल्लेख किया है कि श्योपुर कुपोषण मामले को प्रदेश सरकार का शासकीय अमला इस गंभीर स्थिति को स्वीकार कर, उसका निदान करने के, हकीकत को दबाने में लगा हुआ है। विगत 3 सितंबर को विजयपुर ब्लॉक के गोलीपुरा गांव में छह बच्चों की मौत का कारण, कुपोषण बताने पर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. प्रदीप कुमार तत्काल तबादला कर दिया जाता है और सीएमएचओ की रिपोर्ट को बदल कर मौत का कारण कुछ और बताते हैं और इस हकीकत को स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह ने भी स्वीकार किया है।
इंदौर संभाग में भी हालात अच्छे नहीं
कमजोर और जरूरतमंद बच्चों को एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग का न तो ‘स्नेहÓ काम आया और न ही शिविरों में मासूमों को सुपोषण मिला। करोड़ों खर्च के बाद भी कुपोषण जैसा दृश्य देखने को मिल रहा है। अति कम वजन के बच्चों के मामले में इंदौर संभाग में सर्वाधिक बुरी स्थित बुरहानपुर, खरगोन, खण्डवा और धार जिले की है। बुरहानपुर जिले में नामांकित बच्चों में 62.14 प्रतिशत बच्चे अति कम वजन के हैं। विभाग का दावा है, जागरूकता के अभाव में इन जिलों में ऐसी स्थिति है।
अति कम वजन के बच्चों की संख्या अधिक बनी है।
श्योपुर में कुपोषण का काला सच सामने आने के बाद जिलों में बच्चों को पोषण को लेकर सक्रियता बरती जा रही है, जबकि आंकड़े कुछ और बयां कर रहे हैं। विभाग द्वारा स्नेह शिविर लगाकर बच्चों को सुपोषित करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन हालिया स्थिति है कि संभाग के जिलों में नामांकित बच्चों में 19.96 प्रतिशत से लेकर 62.14 प्रतिशत तक बच्चे अति कम वजन के हैं। सर्वाधिक 18.06 बच्चे कम वजन के इंदौर में हैं।
ऐसे करें कुपोषण की पहचान
त्वचा दबने पर सूजऩ जैसी महसूस होना, दबाने के स्थान पर गड्ढा पड़ जाना। बालों में रुखापन, शरीर की चमक चली जाना, पेट बाहर आना और हाथ पतले हो जाना।
एक्शन प्लान बनाएंगे
श्योपुर के कराहल में कुपोषण तो है। सीएम ने 24 विभागों की आज भोपाल में की गई समीक्षा में कुपोषण पर भी बात हुई है और श्योपुर पर भी। पूरे मप्र के कुपोषण प्रभावित ब्लॉकों में इसके निदान के लिए एक्शन प्लान बनाकर कदम उठाए जाएंगे।
– ललिता यादव, प्रभारी मंत्री और जिला महिला बाल विकास मंत्री मप्र सरकार
Hindi News / Sheopur / 3 महीने में 37 बच्चों की मौत, श्योपुर में कुपोषण ले रहा बच्चों की जान