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रेलवे ट्रैक पर बह रहा ‘लापरवाही ‘ का डीजल

इंजन में डीजल भरते समय की जाती है अनदेखी,ट्रैक पर गिरने वाले डीजल से कभी भी हो सकता है हादसा

सतनाJun 08, 2015 / 10:20 am

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रेलवे स्टेशन पर लंबी दूरी की ओर आने-जाने वाली मालगाड़ी व एक्सप्रेस ट्रेनों के इंजन में लापरवाही का डीजल भरा जा रहा है। फ्यूलिंग प्वाइंट पर की जाने वाली अनदेखी के चलते हजारों लीटर डीजल रोजाना ट्रैक पर बहता है। ट्रैक पर बह रहे हजारों लीटर डीजल पर स्थानीय प्रबंधन की नजर नहीं पड़ रही। पत्रिका पड़ताल में डीजल की बरबादी कुछ यूं नजर आई।
शनिवार दोपहर दो बजे के करीब जबलपुर से आ रही मालगाड़ी के इंजन में क्रमांक 14-बी फ्यूङ्क्षलग प्वाइंट से इंजन में डीजल भरते हुए कर्मचारी मिला। फ्यूलिंग के समय डीजल का अधिकांश हिस्सा ड्रम और ट्रैक पर गिरता हुआ पाया गया। कर्मचारी ने बताया कि इंजन के टैंक का मेंटीनेंस नहीं हुआ है, इसकी वजह से डीजल पूरी तरह से उसमें नहीं जा पा रहा है। ये कोई पहला वाकया नहीं है, एेसे ही कई मामले रोज देखने को मिलते हैं, जब फ्यूलिंग के दौरान इंजन के टैंक मंे कम ट्रैक पर डीजल बहाव के दृश्य ज्यादा देखने को मिलते हैं। विंध्य के प्रवेश द्वार सतना रेलवे स्टेशन से रोजाना 150 से अधिक सवारी ट्रेनों व मालगाड़ी का आवागमन होता है। अधिकांश ट्रेनों में यहां के डीजल डिपो से इंजनों में डीजल भरा जाता है। इंजन में डीजल भरते समय टैंक में कम बाहर रखे ड्रम या फिर ट्रैक पर अधिक बहाया जाता है। ट्रैक पर डीजल भर जाने से कई बार आग की घटनाओं की पुनरावृत्ति हो चुकी है। इसके बावजूद हजारों लीटर डीजल के ट्रैक पर जाने के बाबत स्थानीय मैकेनिकल विभाग आंख मूंदे हुए है।

फ्यूलिंग प्वाइंट नहीं सुरक्षित

रेलवे परिसर पर तकरीबन 50 फ्यूलिंग प्वाइंट बने हुए हैं, जिनसे डीजल की सप्लाई होती है। इन स्थानों पर सुरक्षा के लिहाज से कोई भी पुख्ता व्यवस्था नहीं की गई है। नतीजतन पूर्व में हो चुकी है आग लगने की घटनाएं इसका अहम उदाहरण है। लेकिन मैकेनिकल विभाग के अफसरों ने इस बाबत कोई गंभीरता नहीं बरती और स्थितियां आज भी जस की तस है।

क्षतिग्रस्त हो रहे ट्रैक

तकनीकी इंजीनियरों के मुताबिक, ट्रैक पर डीजल भर जाने से उनकी मजबूती पर सवाल उठने लगे हैं। ट्रैक के खोखले होने की संभावना प्रबल हो गई है। जबलपुर व मानिकपुर छोर की तरफ किसी भी समय ट्रैक पर डीजल भरा हुआ पाया जा सकता है। स्थानीय प्रबध्ंान घोर लापरवाही पर जानकर भी अंजान बना हुआ है।

पीआरओ ने नहीं दिया जवाब

हजारों लीटर डीजल की बर्बादी के बाबत जनसंपर्क अधिकारी केके दुबे से शनिवार शाम पर फोन पर संपर्क किया गया। संपर्क न होने पर उन्हें व्हाट्स एप के जरिए फोटो व उनका बयान लेने का प्रयास किया गया। लेकिन वे जवाब देने से बचते रहे।

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