अंबिकापुर. संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल मेडिकल कॉलेज तो बन गया लेकिन यहां की कुछ व्यवस्थाएं मरीजों व उनके परिजनों को परेशान करती हैं। कभी-कभी यहां ऐसा नजारा देखने को मिल जाता है जो इंसानियत को शर्मसार कर देता है। ऐसा ही नजारा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार को देखने को मिला। सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल पिता का सिटी स्केन कराने बेटे व दो बेटियों को 200 मीटर तक स्ट्रेचर खींचना पड़ा।
चूंकि अस्पताल का सिटी स्केन मशीन कई महीनों से खराब है इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने निजी डायग्रोस्टिक सेंटर में इस सुविधा के लिए व्यवस्था की है। नियम यह बनाया गया है कि डायग्रोस्टिक सेंटर तक मरीज को ले जाने के लिए या तो सेंटर या अस्पताल प्रबंधन वाहन उपलब्ध कराएगा।
लेकिन यह नजारा देख ऐसा कहीं से नहीं लगता कि अस्पताल प्रबंधन ऐसा करता है। स्ट्रेचर खींचकर ले जाते अस्पताल के कई अधिकारियों व डॉक्टरों की उनपर नजर पड़ी लेकिन किसी ने भी उन्हें उपयुक्त व्यवस्था मुहैया कराना उचित नहीं समझा। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन का यह दावा खोखला नजर आता है कि मरीजों की सुविधा व सही इलाज देना ही उनके लिए सर्वोपरि है।
जानकारी के अनुसार सुरजपुर जिले के जयनगर थाना क्षेत्र के ग्राम सोनवाही निवासी 40 वर्षीय सत्यनारायण सिंह पिता नंदलाल सिंह 27 जुलाई को सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया था। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। सिर में गंभीर चोट लगने से वह बेहोश है। डॉक्टरों ने उसका सिटी स्केन कराने की सलाह दी है।
शनिवार दोपहर करीब 12 बजे घायल पिता को उसका पुत्र व दो पुत्रियां स्ट्रेचर पर लादकर अस्पताल से सिटी स्केन कराने विद्या डाग्नोस्टिक तक ले गए। इस दौरान अस्पताल प्रबंधन द्वारा उसे वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया गया। जबकि परिजनों को 200 मीटर तक पैदल ही स्टे्रचर को खींचना पड़ा।
निजी सेंटर तक जाने का रास्ता भी कुछ खराब है लेकिन इलाज कराने की विवशता में बेहोश पिता को सब झेलना पड़ा। इस दौरान अस्पताल के कई लोगों की नजर उसपर पड़ी लेकिन सही व्यवस्था बनाना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा। वहीं सिटी स्केन कराने इतनी दूर जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा वाहन उपलब्ध कराने का नियम है, लेकिन इस नियम की भी यहां खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं।
डायग्रोस्टिक सेंटर व अस्पताल प्रबंधन की है जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का सिटी स्केन मशीन पिछले एक वर्ष से खराब है। सूत्र बताते हैं कि निजी डाग्नोस्टिक सेंटर को लाभ पहुंचाने के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा अब तक सिटी स्केन मशीन की व्यवस्था नहीं की गई है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने शासकीय दर पर ही सिटी स्केन कराने के लिए विद्या डायग्नोस्टिक सेंटर से टाइअप किया है।
वहीं मरीजों को इसी सेंटर द्वारा वाहन की व्यवस्था भी मिलनी है। यदि सेंटर वाहन उपलब्ध नहीं कराता है तो अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी बनती है। यह नियम अस्पताल प्रबंधन व विद्या डाग्नोस्टिक के प्रबंधन के बीच बनी थी। इस मामले में न तो मरीज को अस्पताल प्रबंधन व और न ही विद्या डाग्नोस्टिक द्वारा कोई वाहन उपलब्ध कराया गया।
सिटी स्केन कराने दो दिन रहे परेशान सड़क दुर्घटना में घायल सत्यनारायण सिंह का सटी स्कैन कराने के लिए उसके परिजन दो दिनों तक परेशान रहे। परिजन ने बताया कि 27 जुलाई को सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया था। चिकित्सकों ने सिटी स्केन कराने की सलाह दी थी। 28 जुलाई को जब वे अस्पताल में पर्ची कटाकर विद्या डायग्नोस्टिक गए तो कहा गया कि आज कैस पैमेंट करने के बाद ही सिटी स्केन होगा।
कैश पेमेंट नहीं करने की स्थिति में शनिवार को उन्हें आने कहा गया। परिजन परेशान होकर जब मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे और पर्ची को रिफंड कराने कहा तो यहां के काउंटर पर बैठे कर्मचारियों ने भी यह कहकर उन्हें चलता कर दिया कि पर्ची कट चुका है अब कुछ नहीं हो सकता। इससे परेशान परिजन शनिवार को पुन: सिटी स्केन कराने विद्या डायग्नोस्टिक पहुंचे। इसके बावजूद भी विद्या डायग्नोस्टिक प्रबंधन द्वारा कई तरह के बहानेबाजी की गई।