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राजनंदगांव

बिना इंजन के दौड़ते रहे डिब्बे… सांसत में रही जान

बीकानेर-बिलासपुर स्पेशल ट्रेन 08246 के राजनांदगांव स्टेशन से पहले अनकपलिंग होने से ट्रेन में सवार यात्रियों की जान कुछ देर के लिए सांसत में आ गई थी।

राजनंदगांवFeb 25, 2016 / 09:52 am

Satya Narayan Shukla

Are without running the engine compartment ... lif

Are without running the engine compartment … life is in a tight spot

राजनांदगांव.बीकानेर-बिलासपुर स्पेशल ट्रेन 08246 के राजनांदगांव स्टेशन से पहले अनकपलिंग होने से ट्रेन में सवार यात्रियों और यहां क्रासिंग के पास मौजूद लोगों की जान कुछ देर के लिए सांसत में आ गई थी।

सूझबूझ से बड़ा हादसा टल गया

गेटमैन की सूझबूझ से बड़ा हादसा तो टल गया लेकिन ट्रेन के इंजन और डिब्बों के अलग हो जाने से यहां घंटों अफरातफरी का माहौल रहा। सुबह इस हादसे के वक्त मोतीपुर रेलवे क्रासिंग के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। क्रासिंग के कुछ पहले जहां पर अंडरब्रिज बनाने का काम चल रहा है, वहां पर से अचानक इंजन आगे बढ़ गया और डिब्बे बिना इंजन के दौड़ते रहे।

सांसे एक जगह अटक गईं
क्रासिंग पर मौजूद लोगों ने जब यह देखा तो उनकी सांसे एक जगह अटक गईं और जब तक ट्रेन में सवार लोगों को डिब्बों के इंजन से अलग हो जाने का पता चलता, किसी तरह डिब्बों को रोक लिया गया था। इसके बाद उनकी स्थिति भी अजीब हो गई थी।

ट्रेन के आने की घोषणा कर रहे थे

इस ट्रेन का स्टेशन में भी लोग इंतजार कर रहे थे और स्टेशन में प्लेटफार्म नंबर एक में बिकानेर-बिलासपुर स्पेशल के आने की घोषणा हो रही थी। ऐसे में जब प्लेटफार्म नंबर एक में खाली इंजन पहुंचा तो लोगों के साथ ही पूरे स्टेशन के स्टाफ में हड़कम्प मच गया। अफरातफरी के बीच इसी वक्त मोतीपुर क्रासिंग के गेटमैन का संदेश पहुंचा कि डिब्बे क्रासिंग के पास हैं, तो आनन-फानन में इंजन को वापस डिब्बों के पास ले जाया गया। इसके बाद ही यात्रियों ने राहत की सांस ली।

अचानक हुआ यह सब, हैरान रह गए मुसाफिर

इंजन के ट्रेन के डिब्बों को छोड़कर आगे बढ़ जाने की घटना के वक्त मोतीपुर क्रासिंग को पार करने के लिए खड़े शहर के नागरिक सुधीर शेंडे ने बताया कि सब कुछ अचानक हुआ। वो देख रहे थे कि टे्रेन आ रही है और फिर अचानक ट्रेन का इंजन आगे बढ़ गया और डिब्बे उससे अलग हो गए।

यात्रियों में घबराहट का माहौल

उन्होंने बताया कि इंजन रेलवे स्टेशन तक चला गया था और ढुलकते डिब्बों को गेटमैन ने अपने स्तर पर रोकने का प्रयास किया और संभवत: डिब्बों के भीतर से भी किसी ने चैन पुलिंग की होगी, कि डिब्बे कुछ दूर बाद रूक गए। पेशे से शिक्षक शेंडे ने बताया कि अचानक इंजन के डिब्बों से अलग हो जाने से यात्रियों में घबराहट का माहौल हो गया था।

आरपीएफ का पता नहीं

मोतीपुर क्रासिंग के पास एक ट्रेन के साथ इतना बड़ा हादसा होने के बाद घंटे भर तक माहौल भीड़भरा रहा और क्रासिंग और ट्रेन के आसपास भीड़ जमा रही लेकिन स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आरपीएफ के जवान मौके पर पहुंचे ही नहीं। स्टेशन से कुछ ही दूरी पर इतना सब होता रहा और क्रासिंग में गेटमैन के साथ स्थानीय लोग व्यवस्था बनाते रहे, पर आरपीएफ के जवान नदारद रहे।

अलर्ट जारी कर रोकी गई ट्रेनें

घटना की सूचना मिलते ही राजनांदगांव रेलवे स्टेशन पर अफरातफरी मच गई। स्टेशन प्रबंधन ने तत्काल अलर्ट जारी करके एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए। दरअसल इस टे्रन के बाद इसी ट्रैक पर डोंगरगढ़ की ओर से एक मालगाड़ी आ रही थी। मालगाड़ी को मुसरा स्टेशन पर रोककर रखा गया। यह घटना क्रासिंग के पास हुई और स्टेशन भी नजदीक था तो स्थिति को संभाल लिया गया, वरना टे्रक पर आने वाली दूसरी टेे्रनें इन डिब्बों से टकरा भी सकती थी।

क्रासिंग के पास यातायात प्रभावित हुआ

ट्रेन के अनकपलिंग होने के कारण डाउन लाइन पर आने वाली ट्रेनों को जो जहां थी, वहीं पर कुछ देर के लिए रोक दिया गया। इस घटना के चलते करीब आधे से एक घंटे तक रेल यातायात प्रभावित रहा। हालांकि रेलवे के अफसरों का कहना है कि रेल यातायात पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा। क्रासिंग के पास इस तरह की घटना होने के कारण मोतीपुर क्रासिंग पर करीब एक घंटे तक यातायात प्रभावित हुआ। क्रासिंग का गेट बंद होने के कारण लोगों को आवाजाही में दिक्कत हुई।

ये खतरे के पाईंट
रेलवे क्रासिंग या स्टेशन के पास के अलावा कहीं और यदि ट्रेन अनकपलिंग होती तो घटना का पता चलने में वक्त लग सकता था और उसी ट्रेक पर दूसरी ट्रेन के आ जाने से बड़ा हादसा हो सकता था। गोंदिया के बाद राजनांदगांव के बीच में सालेकसा और दर्रेकसा का इलाका माओवाद प्रभावित प्रभावित क्षेत्र है और पहाड़ी और ढलान वाले टे्रक यहां पर हैं।

अनकपलिंग का होना भी खतरनाक

इस क्षेत्र में अनकपलिंग का होना भी खतरनाक हो सकता था। बोरतलाव के क्षेत्र में भी ढलान पर रेलवे ट्रेक है। यहां पर अनकपलिंग होने पर टे्रन के रूकने में मुश्किल हो जाती। राजनांदगांव से दुर्ग की दिशा में शिवनाथ नदी पर बने पुल के पास इस तरह का हादसा होने पर ट्रेन को फिर से कपलिंग करने में दिक्कत होती।

इंजन के जाने के बाद गेट खोल दिया
मोतीपुर रेलवे क्रासिंग के पास इस तरह की घटना होने से एक तरफ टे्रन में मौजूद यात्रियों में भय का माहौल हो गया था तो दूसरी ओर क्रासिंग के पास मौजूद लोगों में भी अफरातफरी का माहौल हो गया था। कारण यह था कि इंजन के जाने के बाद गेट भी खोल दिया गया था। गेटमैन ने लोगों को बड़ी मुश्किल से पटरी से हटाने का काम किया और ढुलकते डिब्बोंं को रोका।

आधे घंटे लगे फिर से जोडऩे में

बीकानेर-बिलासपुर स्पेशल ट्रेन के इंजन को राजनांदगांव रेलवे स्टेशन से वापस बेहद धीमी गति से उल्टी दिशा में लाया गया। डाऊन लाईन मेें उसी ट्रेक पर इसे ट्रेन के डिब्बों के पास लाकर फिर से रेलवे के तकनीकी स्टाफ ने कपलिंग की और इसका बारीकी से परीक्षण किया। इसके बाद इस ट्रेन को राजनांदगांव रेलवे स्टेशन की ओर रवाना किया गया। जोडऩे में आधा घंटा लग गया।

तकनीकी खराबी के कारण ऐसा हुआ
स्टेशन प्रबंधक सुजीत चक्रवर्ती ने कहा कि तकनीकी खामी के कारण ट्रेन अनकपलिंग हो गई थी। इंजन से डिब्बों को आपस में जोड़कर रवाना कर दिया गया है। समय पर सूचना मिल जाने के कारण दूसरी ट्रेनों को रोक दिया गया था। इसके चलते बड़ा हादसा टल गया।

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