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रायपुर

सलवा-जुडूम 2 का आना तय

सलवा-जुडूम के संस्थापक महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा ने कहा है कि भले ही माओवादी अभियान में शरीक होने वाले लोगों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन अभियान को चलने से अब कोई नहीं रोक पाएगा।

रायपुरMay 12, 2015 / 09:29 am

चंदू निर्मलकर

chabindra karma

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रायपुर. बस्तर में माओवादियों के खिलाफ सलवा-जुडूम पार्ट-2 यानी जनजागरण अभियान का चलना तय हो गया है। सलवा-जुडूम के संस्थापक महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा ने कहा है कि भले ही माओवादी अभियान में शरीक होने वाले लोगों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन अभियान को चलने से अब कोई नहीं रोक पाएगा।

कर्मा ने कहा कि उन्हें यह तथ्य अच्छी तरह से पता है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभियान पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन वे अपने अभियान के जरिए गांव-गांव में विकास की बात करेंगे। छविंद्र ने कहा कि उनके पिता महेंद्र कर्मा ने जो सलवा-जुडूम अभियान चलाया था, वह कही से भी गलत नहीं था। कुछ लोगों के चलते ऐसी परिस्थितियां बन गई कि अभियान पर ब्रेक लग गया और 25 मई को झीरमघाट में उनके पिता की निर्मम हत्या कर
दी गई।

नहीं रहा अच्छा परिणाम


-वर्ष 1990-91 में बस्तर के एक बड़े भू-भाग में आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा और पुलिस अफसर दिनेश जुगरान ने हल्ला बोल अभियान चलाया था। इसमें कर्मा समर्थक, अफसर और स्वयंसेवी संस्था से जुड़े लोग गांव-गांव में भ्रमण के दौरान यह प्रचार करते थे कि आंध्रप्रदेश और ओडिशा के माओवादी भोले-भाले आदिवासियों को लूटने का काम कर रहे हैं। यह अभियान थोड़े दिनों तक चलता रहा, लेकिन बाद में फंड की कमी के चलते बंद हो गया।

-वर्ष 1998 में एक बार फिर बस्तर में जनजागरण अभियान की शुरुआत हुई, लेकिन यह अभियान भी परवान नहीं चढ़ पाया। इस अभियान में शामिल लोग और सांस्कृतिक मंडलियां ग्रामीणों का यह भरोसा जीतने में कामयाब नहीं हो सकी कि माओवादी शोषक हैं। इन्हीं सालों में सरकार इस तथ्य से अवगत हुई कि ग्रामीणों के बीच माओवादियों की जबरदस्त पैठ है और ग्रामीणों का भरोसा जीते बगैर खात्मा असंभव है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना

बिलासपुर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुधा भारद्वाज ने कहा कि जब सलवा-जुडूम अभियान प्रारंभ हुआ था तब यही कहा गया था सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से चलेगा, लेकिन थोड़े ही दिनों में इसकी कलई खुल गई। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सलवा- जुडूम अथवा उसकी परम्परा को आगे बढ़ाने वाला कोई भी आंदोलन प्रारंभ नहीं किया जा सकता है। यदि कोई नाम बदलकर भी अभियान की शुरुआत करता है तो यह कोर्ट की अवमानना होगी।

यह है कार्यक्रम कर्मा का

-25 मई को महेंद्र कर्मा के शहीदी दिवस पर आम बैठक आयोजित की गई है।
-विकास संघर्ष समिति ‘जन जागरण अभियानÓ के नाम से इस कार्यक्रम को करेगी।
-बैठक में आगे की रणनीति के बारे में चर्चा होगी और गांव में पदयात्रा का कार्यक्रम है।
-पदयात्रा में विकास-विरोधी ताकतों और गुमराह करने वाले लोगों के बारे में जनता को जागरूक किया जाएगा।
-आंदोलन में सलवा जुडुम से जुड़े पुराने नेता चैतराम अटामी और सुखदेव ताती और सत्तार अली भी शामिल होंगे।

…तब जमकर हुआथा खून-खराबा
वर्ष 2005 में महेंद्र कर्मा के शांति का कारवां यानी सलवा-जुड़ूम अभियान में सरकार भी बाद में शामिल हो गई थी और अप्रशिक्षित आदिवासियों को हथियार भी थमा दिया था। इस दौरान लगभग 600 गांव खाली हो गए। कई बेघर हुए और लगभग 800 की जान गई।

अभियान चलाने वालों को पूरी सुरक्षा देगी सरकार : गृहमंत्री

प्र देश के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा है कि बस्तर में माओवादियों के खिलाफ जो कोई भी अभियान चलाएगा सरकार उसे भरपूर सहयोग देगी। दिवंगत कांग्रेस नेता महेन्द्र के पुत्र ने मुझसे कोई चर्चा नहीं की है, यदि वे अभियान को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार से सुरक्षा की मांग करेंगे तो सरकार उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराएगी। अभियान शांतिपूर्ण होना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं होनी चाहिए। माओवादी विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं, इसलिए उनके खिलाफ अभियान छेडऩे में कोई दिक्कत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने किया था प्रतिबंधित

सलवा जुडूम में विशेष पुलिस अधिकारियों की हिंसक गतिविधियों के चलते इसे बंद किए जाने को लेकर प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और सीपीआई नेता मनीष कुंजाम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, जिस पर ५ जुलाई २०११ को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने यह माना कि जहां लोकतंत्र है, वहां नागरिकों को हथियार थमाकर उन्हें हिंसा करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। एक हिंसा को रोकने के लिए दूसरी हिंसा को न्यायोचित नहीं माना जा सकता। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का आदेश अंतरिम है और अब तक कोई नया फैसला नहीं आया है। इसलिए इस पर प्रतिबंध लगा हुआ है। उधर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा, मैंने भी यह सुना है कि छविंद्र कर्मा माओवादियों के खिलाफ कोई नया अभियान चलाने जा रहे हैं। लेकिन, उनसे मेरी कोई चर्चा नहीं हुई है।

सालवा जुडुम-2 हुआ तो बरपेेगा कहर

इधर, माओवादियों के प्रवक्ता गुड़सा उसेंडी ने कहा है कि यह कदम ‘सलवा जुडुमÓ की तरह ही होगा। सलवा जुडुम-2 शांति और विकास के नाम पर एक छलावा है, जिसका मकसद घरेलू प्राकृतिक संपदाओं को विदेशी पूंजीपतियों के हाथों में देना है। उन्होंने कहा,Óबस्तर की बहादुर जनता सलवा जुडुम-2 के खिलाफ लड़ेगी। लोगों का युद्ध और आंदोलन ‘जन जागरणÓ का बदला ठीक उसी तरह से लिया जाएगा, जैसे सलवा जुडूम-1 शुरू करने वाले महेंद्र करमा और बाकी लोगों से लिया गया था।

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