एक्सक्लूसिव : नैरो गेज पर एक्सप्रेस वे बनाने में पेंच, रेलवे ने मांगे और पैसे
पचड़ा : राज्य सरकार जमीन के बदले 139 करोड़ देने तैयार, लेकिन अब नई मांग
इसी शर्त पर तेलीबांधा से राजिम-धमतरी तक चलती रहेगी हमारी छुकछुकिया
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एक नजर इधर भी
20 किलोमीटर लंबाई
50-50 फीट पटरी के दोनों तरफ प्रस्तावित एक्सप्रेस वे
100 करोड़ रुपए लागत
146 करोड़ रेलवे को देना है
100 फीट चौड़े एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया जाएगा
केपी शुक्ला. रायपुर. हमारी छुकछुकिया इस शर्त पर चलती रहेगी, जब राज्य सरकार रेलवे को केंद्री में मेंटेनेंस शेड बनाने के लिए सवा सात करोड़ देने के लिए राजी हो जाएगी। वरना, रेलवे छोटी लाइन की जमीन एक्सप्रेस-वे के लिए दे तो देगा, लेकिन फिर ट्रेन नहीं चलाएगा। यह प्रस्ताव रेलवे प्रशासन ने राज्य शासन को भेजा है। जबकि, जमीन की कीमत 139 करोड़ अलग से रेलवे को देनी होगी। तब जाकर एक्सप्रेस-वे निर्माण की सौगात शहर के लोगों को मिल सकेगी।
तीन-चार महीने पहले राज्य शासन ने छोटी रेल लाइन पर एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए खासी रुचि दिखाई। इस प्रोजेक्ट को पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत ने पेश करते हुए स्पष्ट किया कि उनका विभाग 100 करोड़ की लागत से 100 फीट चौड़े एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराएगा। यह काम होने पर रायपुर और नया रायपुर सीधे तौर पर सड़क मार्ग से जुड़ जाएंगे। शहर के बीचोबीच मुख्य गौरव पथ और जेल रोड से स्टेशन जाने वाली सड़क पर लगातार बढ़ रहे ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा। शहर का एक बड़ा हिस्सा एक्सप्रेस-वे से स्टेशन पहुंचेगा और ट्रेन से उतर कर अपने मोहल्ले और कॉलोनियों में। सबसे अधिक फायदा खमतराई, देवेंद्रनगर, शंकरनगर, खम्हारडीह और तेलीबांधा के लोगों को होगा।
तब आई 139 करोड़ देने की बात
शासन की तरफ से रुचि दिखाने के बाद कलक्टर ठाकुर रामसिंह और डीआरएम राहुल गौतम ने एक साथ रायपुर से केंद्री तक छोटी रेलवे का जायजा लिया। इसमें यह बात सामने आई कि कई जगह काफी कब्जा है। एेसी स्थिति में जमीन का रेट 139 करोड़ तय कर, यह प्रस्ताव रेलवे को भेजा गया। जो अभी रेल मंत्रालय में विचारधीन है।
रेल मंत्रालय ने यह रखी शर्त
राज्य शासन की ओर से 139 करोड़ का प्रस्ताव मिलते ही रेल मंत्रालय ने छोटी ट्रेन चलाने या बंद करने की जानकारी मांगी। वह भी इस शर्त पर कि जमीन देने के बाद ट्रेन चलाना बंद कर देंगे, जिसकी पूरी जवाबदारी सरकार की होगी। लेकिन इस पर सहमति नहीं मिली। तब रेलवे ने यह तय किया कि छोटी ट्रेन अभी रात में एक बार मेंटेनेंस के लिए रायपुर स्टेशन आती है। यदि राज्य सरकार यह ट्रेन चलाना ही चाहती है तो केंद्री में मेंटेनेंस शेड बनाना पड़ेगा। इसमें 7.25 करोड़ खर्च किया जाएगा, जिसका वहन रेलवे नहीं कर सकता। इतनी राशि अदा करने के बाद फिर एक्सप्रेस-वे का रास्ता साफ हो जाएगा।
रायपुर रेलवे डीआरएम राहुल गौतम ने बताया कि रेलवे ने अपना प्रस्ताव राज्य शासन को दे दिया है। शहर विकास के मामले में रेलवे साथ है। पूरी स्थितियों से वाकिफ करा दिया गया है। केंद्री में सवा सात करोड़ की लागत मेंटेनेंस शेड बनाने में आएगी। यह होने पर छोटी ट्रेन रेलवे चलाता रहेगा।
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