रायपुर. रंगीन चश्मा और चटकदार शर्ट पहनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी करने पर जगदलपुर कलक्टर अमित कटारिया सोशल मीडिया की सुर्खियों में हैं। डे्रस कोड के उल्लंघन पर कलक्टर को दिए गए नोटिस को लेकर कटारिया के पक्ष और विपक्ष में टिप्पणियां आई हैं। साथ ही सवाल भी उठाया गया है कि
कटारिया को नोटिस तो ठीक है, लेकिन घोटालेबाज अफसरों को सरकार क्यों बचा रही है? इस मुद्दे से कलक्टरों के ड्रेस कोड को लेकर बहस छिड़ गई है। इसी मामले में दंतेवाड़ा के कलक्टर को भी नोटिस दिया गया है।
फेसबुक पर सूर्यप्रकाश ने लिखा है कि नीली शर्ट पहनकर प्रधानमंत्री की अगवानी करने पर कलक्टर को तो नोटिस थमा दिया गया, लेकिन नई राजधानी में जिस ठेकेदार को डोम तैयार करने का ठेका दिया गया था उसे कोई नोटिस नहीं दिया गया। अरुणेश शर्मा की प्रतिक्रिया है- प्रधानमंत्री के सामने चश्मा पहनना अनुचित है। इससे सम्मान का अभाव झलकता है। इतनी ही स्टाइल दिखानी है तो विराट कोहली की तरह क्रिकेट खेलो।
वन्य प्राणी विशेषज्ञ प्राण चड्डा का कहना है कि ‘खाप की सोच कभी बदलाव की पक्षधर नहीं होती।’ वहीं अनिल मिश्रा ने नियमों का हवाला देते हुए लिखा है- अफसरों को पीएम या प्रेसिडेंट के आगे बंद गले का कोट पहनकर जाना ही चाहिए। रंजन ने लिखा है- कोई यह बताएगा नान घोटाले का क्या हुआ? मामला कहां तक पहुंचा? पी सुरेश की प्रतिक्रिया है- जब राज्यपाल, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक डे्रस कोड का पालन कर सकते हैं तो फिर कलक्टर को इसका पालन करने में क्या दिक्कत हो रही थी? नरेंद्र का कहना है कि कलक्टर अपने आपको सुर्खियों में रखने के लिए कभी कहते हैं कि वे एक रुपया की पगार लेते हैं तो कभी कुछ। वे कुछ न कुछ उटपटांग करते ही रहे हैं। यदि रंगीन चश्मा पहनकर हीरोगिरी दिखाना ठीक है तो फिर सभी को बरमुडा पहनकर दफ्तर आने-जाने की छूट दे देनी चाहिए। कोई भी कानून से बड़ा नहीं है।
सोशल साइट्स में जवाब शाम होते ही वॉट्सएप व फेसबुक पर एक संदेश तेजी से वायरल किया गया। इसे कलक्टर कटारिया का राज्य सरकार को भेजा जाने वाले जवाब बताते हुए कहा गया कि उन्होंने किसी भी प्रकार के प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं किया है। 11 साल की सेवा के दौरान वे तीन जिलों की कमान संभाल चुके हैं। अगर उनकी तरफ से कोई गलती रही तो इसके लिए यूपीएससी एवं अकादमी को जिम्मेदार ठहराया जाए। संदेश के वायरल होने के तुरंत बाद कटारिया ने सोशल साइट्स पर जानकारी दी कि इस जवाब से उनका कोई वास्त नहीं है। कटारिया ने इस सम्पूर्ण मामले पर चुप्पी साध ली है।
वैचारिक दिवालियापन
कटारिया को नोटिस थमाए जाने को प्रकाश शर्मा ने सरकार का वैचारिक दिवालियापन माना है। सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम सिंह चौहान ने यह सवाल उठाया है कि क्या देश में अंग्रेजों के जमाने का कानून चल रहा है। वहीं मो. अकबर खान ने यह कहते हुए कलक्टर का पक्ष लिया है कि कल को ठंड में गरम कोट नहीं पहना जा सकता और बरसात में तो रेनकोट बिलकुल भी नहीं।
दो बार बदले थे शर्ट मोदी के बस्तर दौरे में कटारिया ने दो बार शर्ट बदली। उन्होंने अलग-अलग कलर की शर्ट में प्रधानमंत्री के आते-जाते समय अगवानी की, लेकिन ड्रेस कोड के तहत बंद गले के कोट से परहेज रखा।
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