नई दिल्ली। उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता का दौर कायम है। जहां कांग्रेस के 9 विधायकों के बागी हो जाने के बाद मुसीबत में घिरे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र सरकार और बीजेपी की जमकर आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार इस छोटे से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की लगातार धमकी दे रही है जो लोकतंत्र और संविधान की हत्या है।
सत्ता के अहंकार में चूर होकर दे रहे धमकी
रावत ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राज्य के इतिहास में यह लंबे अंतराल के बाद हो रहा है कि कोई शासक दल सत्ता के अहंकार में चूर होकर एक छोटे से सीमांत राज्य को लगातार धमकी दे रहा है। मैं राज्य की ओर से, जनता की ओर से और प्रबुद्ध वर्ग की ओर से बीजेपी की इस धमकी की निंदा करता हूं। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी राज्य में राष्ट्रपति शासन की निरंतर धमकी दे रही है। कल भी उन्होंने ये धमकी दुहराई। मैं इसे उत्तराखंड में लोकतंत्र की हत्या के एक और प्रयास के रूप में देखता हूं। पहला प्रयास उन्होंने धनबल और बाहुबल के दम पर दलबदल करवा कर किया और अब राष्ट्रपति शासन दूसरा प्रयास है।
मेरा डीएनए जनता का डीएनए है
रावत ने कांग्रेस के बागी विधायक विजय बहुगुणा और बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि मेरा डीएनए जनता का डीएनए है, यह दूसरों की भांति आयातित डीएनए नहीं है। अगर इस पूरे मामले में पैसे का कोई खेल नहीं है तो फिर विजय बहुगुणा के डीएनए और कैलाश विजयवर्गीय के डीएनए में क्या समानता है।
इस मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाएंगे
उत्तराखंड के गवर्नर को हटाए जाने की मांग पर रावत ने कहा कि जिस तरीके से एक पूर्व मुख्यमंत्री ने गवर्नर को हटाने की सिफारिश की, वह काफी निंदनीय है। उन्होंने यह भी कहा कि हमने फैसला किया है कि हम इस पूरे मुद्दे को जनता के बीच लेकर जाएंगे। राज्य के हालिया संकट को बीजेपी द्वारा कांग्रेस का अंदरूनी मामला बताए जाने को लेकर रावत ने कहा, अगर यह कांग्रेस की अंदरूनी दिक्कत है तो फिर क्यों आरएसएस और बीजेपी के बड़े नेता 17 और 18 मार्च को राज्य में मौजूद थे?
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