scriptविलुप्त हो रहे खेती किसानी वाले चुनाव चिन्ह | The husbandry symbol are becoming extinct from election | Patrika News
पटना

विलुप्त हो रहे खेती किसानी वाले चुनाव चिन्ह

चुनाव चिंह गाय-बछड़ा, हल और बैल, हसुआ, गेहूं की बाली, हल चलाता किसान, हल, बैल, बैलगाड़ी इत्यादि प्रमुख थे।

पटनाSep 27, 2015 / 11:17 am

इन्द्रेश गुप्ता

husbandry election symbol

husbandry election symbol

पटना। सन् 1950 से 1980 के दशक तक चुनाव आयोग खेती-किसानी से जुड़े प्रतीक चिन्ह आवंटित करने को प्राथमिक देता था। राजनीतिक दलों व निर्दलीय प्रत्याशियों के चुनाव चिंह गाय-बछड़ा, हल और बैल, हसुआ, गेहूं की बाली, हल चलाता किसान, हल, बैल, बैलगाड़ी इत्यादि प्रमुख थे। उस समय चुनाव चिन्ह पर आधारित गीत भी खूब मशहूर थे, मसलन गैया-बछड़ा पर मुहर लगाव भैया, गैया बछड़ा पर … सबसे अगाड़ी, हमार बैलगाड़ी आदि।


लेकिन अब चुनावों में इस तरह के प्रतीक चिन्ह गायब होते नजर आ रहे हैं। 12वीं सदी के आगाज के साथ चुनाव चिन्ह के चेहरे बदलने लगे। आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अलावा खेलकूद, शिक्षा आधारित और उपयोग के सामान इस सूची में जगह बनाते गए हैं।


राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की बढ़ती संख्या के कारण भी चुनाव चिन्ह के आवंटन में परिवर्तन आ गया है। हालांकि, वामदलों के पास उनका वही पुराना चुनाव चिन्ह हैं।

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