scriptRIO: पैरा ब्रॉन्ज मेडलिस्ट वरुण भाटी की दर्दभरी कहानी | Untold story of rio paralympic bronze medalist Varun Bhati | Patrika News
नोएडा

RIO: पैरा ब्रॉन्ज मेडलिस्ट वरुण भाटी की दर्दभरी कहानी

बाॅस्केटबाल टीम से बाहर निकालने के बाद भी नहीं हारी हिम्‍मत, बना हार्इजंप का उस्‍ताद

नोएडाSep 10, 2016 / 12:17 pm

lokesh verma

varun bhati

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नोएडा. रियो में चल रहे पैरा ओलिंपिक खेलों में भारत ने इतिहास रच दिया है। मरियप्पन थांगावेलू और वरुण सिंह भाटी ने हाई जंप में गोल्ड और ब्रॉन्ज पदक जीतकर पूरे देश मान बढ़ाया है। इससे न सिर्फ पूरे देश में, बल्‍क‍ि नोएडा में भी जश्‍न का माहौल है और हो भी क्‍यों न नोएडा के लाड़ले वरुण ने 1.86 मीटर कूद मारकर कर कांस्य जो अपने नाम कर लिया है।

बाॅस्केटबाल से अपने करियर की शुरुआत करने वाले वरुण ने यहां से बाहर निकाले जाने पर भी हिम्‍मत नहीं हारी और जोश, जज्‍बे और जुनून को कायम रखते हुए हार्इजप को अपना हथियार बना लिया। कोच की मदद आैर अपनी मेहनत व लगन से वरुण ने बाहरी देशों में एक के बाद एक मेडल लेकर देश का सिर भी गर्व से उठा दिया।

जब निकाल दिया जाता था टीम से बाहर

वरुण भाटी के कोच मनीष तिवारी ने बताया कि वरुण भाटी ने छठी कक्षा में गेम ज्वाइन किया था। वह बाॅस्केटबाल खेलने में बहुत ही माहिर था, लेकिन अक्सर बाहर होने वाले मैचों में उसे हैंडिकेप्ड होने के चलते खेलने से रोक दिया जाता था। इसके बाद भी उसने हार न मानी और करीब चार साल तक बाॅस्केटबाल खेलता रहा। इस गेम में भी उसने कर्इ मेडल हासिल किए, लेकिन बाहर खेले जाने वाले मैचों में उसे हैंडिकेप्ड होने के चलते खेलने से रोक दिया जाता था।

दसवीं से शुरू किया हाईजंप का सफर

वरण के कोच ने बताया कि बार-बार टीम से बाहर निकाले जाने से पहले तो वरुण काफी परेशान हो गया था, लेकिन इसके बाद भी उसने हिम्‍मत नहीं हारी और हार्इजंप को अपना करियर बना लिया। देखते ही देखते वह सबका उस्ताद बन गया। कोच बताते हैं कि जब वरुण दसवीं कक्षा में था तभी से उसने हाईजंप की तैयारी शुरू कर दी थी। इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक लगातार पदक जीते। कोच बताते हैं कि वरुण रोजाना छह से सात घंटे की प्रेक्टिस करता था। अपनी इसी लगन आैर हौंसले के बूते वरुण ने जीत हासिल की है।

पूरी रात देखा खेल, गांव में बांटी मिठार्इ

गांव जमालपुर निवासी वरुण भाटी के पिता ने बताया कि बेटे की जीत के बाद उना सीना खुशी से चौड़ा हो गया है। उनके पूरे परिवार ने रात से लेकर सुबह पांच बजे तक वरुण का मैच देखा। बेटे के ब्रांज जीतते ही उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्‍होंने सुबह होते ही सभी को मिठाइयां बांटी। वहीं बधार्इ देने वालाें का सिलसिला सुबह से शुरू और अभी तक जारी है।

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