नोएडा। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए वर्तमान सरकार ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करनी शुरू कर दी है। वहीं प्रमुख विपक्षी दल बहुजन समाजवादी पार्टी पहले ही उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करते हुए अपने चुनावी कदम आगे बढ़ा चुकी है। इधर भाजपा अभी तक अपना अध्यक्ष पद तक तय नहीं कर पाई है। आखिर भाजपा किस रणनीति पर काम कर रही है और किन मुद्दों के सहारे यूपी के चुनाव में उतरेगी? यह जानने के लिए हमारे संवाददाता अमित शर्मा ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह से खास बातचीत की। आप भी पढ़िए इस वार्ता के प्रमुख अंश-
उत्तर प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष की घोषणा में देरी की बात को स्वीकार करते हुए राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने कहा कि हम बहुत जल्द ही उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष की घोषणा कर देंगे। जहां तक देरी से होने वाले नुकसान की बात है तो ऐसा कुछ नहीं है। हमारे कार्यकर्ता पहले से ही क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। केवल उनकी भूमिका तय होने वाली बात होती है और इसे भी जल्द ही तय कर दिया जाएगा। संभावित उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार के लिए अभी बहुत पर्याप्त समय है। इससे कोई क्षति नहीं होगी।
विकास ही सबसे बड़ा मुद्दा यूपी चुनावी मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारे पास एकमात्र विकास का ही मूलमंत्र है और हम उसी के सहारे हर चुनाव में उतरेंगे और व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि विकास से बड़ा कोई दूसरा मुद्दा हो ही नहीं सकता। आप चाहे हमारे लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर नज़र डालें या बीजेपी शासित किसी अन्य राज्य के चुनाव पर आपको हमारे हर चुनाव में विकास का मुद्दा ही केंद्र में दिखेगा। जहां तक अन्य दलों की चुनाव तैयारियों की बात है उसके बारे में हम क्या टिप्पणी करें, ये उनका अपना मामला है।
अखिलेश सरकार के कार्यकाल में हुए सर्वाधिक सांप्रदायिक दंगे उन्होंने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार हर मोर्चे पर फेल हुई है। पहले जो हाल बिहार का हुआ करता था, आज वही हाल उत्तर प्रदेश का हो गया है। अखिलेश सरकार के इतने दिनों के कार्यकाल में जितने सांप्रदायिक दंगे हुए हैं, उतने किसी भी राज्य में किसी भी सरकार के दौरान नहीं हुए। पत्रकारों पर हमले हुए, उन्हें जलाकर मार डाला गया और अखिलेश प्रशासन सोया रहा। बड़े प्रशासनिक अधिकारियों को पार्टी के हिसाब से काम न करने पर उन्हें प्रताड़ित किया गया। यूपी पुलिस जनता की सुरक्षा करने की बजाय मंत्रियों की भैंस और मुर्गी के पीछे पड़ी रही। अखिलेश सरकार विकास की नहीं ‘गुंडाराज और जंगलराज’ का पर्याय बन चुकी है।
मायावती का सोशल इंजीनीयरिंग फॉर्मूला सिर्फ सत्ता हथियाने का तरीका वहीं उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता ने बड़े भरोसे के साथ मायावती को पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का मौका दिया था, लेकिन क्या हुआ? अगर उन्हें ब्राह्मणों को आरक्षण देना था, तो उन्हें किसने रोका था। ब्राह्मण सहित अन्य सभी वर्ग को यह बात समझ में आ चुकी है कि मायावती का सोशल इंजीनीयरिंग फॉर्मूला सिर्फ सत्ता हथियाने का तरीका था। अपने कार्यकाल में उन्होंने अपनी मूर्तियां बनवाने और भ्रष्टाचार करने के आलावा और कुछ नहीं किया। ऐसी परिस्थिति में जनता के पास मोदी जी के विकास के फॉर्मूले को ही अपनाने की राह बचती है और हम सरकार की उपलब्धियों के सहारे ही जनता के बीच जाएंगे।
सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने वाले का सपोर्ट नहीं जब उनसे पूछा गया कि आपकी पार्टी के योगी आदित्यनाथ, राम शंकर कठेरिया, निरंजना ज्योति जैसे नेताओ पर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने के आरोप लग रहे हैं तो उन्होंने कहा कि किसी भी दल के किसी भी नेता को किसी भी परिस्थिति में ऐसी बातें नहीं करनी चाहिएं, जिससे सामाजिक सौहार्द्र बिगड़े। हम ऐसी किसी भी बात का सपोर्ट नहीं करते।
सोशल मीडिया के सहारे जनता तक पहुंचाएंगे अपनी बात वहीं उन्होंने मीडिया को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि मीडिया हमारी बातों को दूसरे तरीके से ही पेश करने में जुटा है। मोदी सरकार के अच्छे कामों की चर्चा करने की बजाय बेवजह की इधर-उधर की बातें कर हमें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन हम अपनी बात को जनता तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंगे और जनता के हित में सरकार की योजनाओं की जानकारी देंगे और हमें पूर विश्वास है कि जनता हमारा साथ देगी।