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नोएडा

नोटबंदी की मार, यहां पांच लाख लोग हुए बेराजगार

नहीं सुधरे हालात तो 1.25 लाख पर्मानेंट वर्कर की भी जा सकती है नौकरी 

नोएडाDec 15, 2016 / 09:43 am

sharad asthana

noida labour

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सौरभ शर्मा, नोएडा। नोटबंदी का असर सिर्फ लोगों की जीवनशैली पर ही नहीं बल्कि उनकी नौकरी पर भी पड़ना शुरू हो गया है। असर पिछले एक महीने में और ज्यादा देखने को मिला है। खासकर इंडस्ट्रीयल सेक्टर में तो बड़ी ही विचित्र स्थिति पैदा हो गई है। अगर वेस्ट यूपी की बात करें तो इंडस्ट्रीयल सेक्टर में लाखों लोग अपनी नौकरी से हाथ गंवा चुके हैं। आने वाले समय में अगर हालात ऐसेे ही रहे तो लाखों लोगों की और नौकरी जा सकती है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर किन लोगों की नौकरी गई और आने वाले समय में और किन लोगों की नौकरी जा सकती है। 

पांच लाख हुए बेरोजगार 

नोएडा, गाजियाबाद के अलावा मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरगनर, सहारनपुर आदि जिलों में कर्ई तरह की इंडस्ट्री मौजूद हैं। जानकारों की मानें तो इन इंडस्ट्री में करीब 40 फीसदी तक काम कम हो गया है। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की मानें तो काम कम होने के कारण लेबर से काम नहीं लिया जा रहा है। ये सभी लेकर टेंप्रेरी है, जोकि ठेकेदार के माध्यम से आती है। जिनका कोई ना तो अकाउंट मेंटेन किया जाता है। ना ही इन्हें चेक से पेमेंट की जाती है। ऐसे में इन लोगों को हटाना हमारी मजबूरी भी है। रोज का कैश कहां से लाकर दिया जाएगा। ऐसे में इनसे किसी तरह का कोई काम नहीं लिया जा रहा है। आपको बता दें कि वेस्ट यूपी के अंदर करीब 10-12 लाख ऐसी लेबर है जोकि टेंप्रेरी तौर पर काम करती है। जिनमें से पांच लाख कर्मचारी पूरी तरह से बेरोजगार हो चुके हैं। 

इसलिए हुए बेरोजगार 

आईआईए यूपी के जनरल सेकेट्री पंकज गुप्ता के अनुसार इंडस्ट्री में काम बिल्कुल भी नहीं है। नोट बंदी या यूं कहें कि डिमोनेटाइजेशन के बाद इंडस्ट्री संचालकों के पास रॉ मटीरियल तक नहीं आ रहा है। वहीं कोई भी निचले लेवल का कर्मचारी चेक से पेमेंट लेने को तैयार नहीं है। ऐसे उन्हें कैैश में रुपये देने के लिए कहां से आएंगे। परमानेंट कर्मचारी और बाकी स्टाफ को चेक के माध्यम से सैलरी दी जा रही है। जिनमें से कुछ ऐसे भी हैं कैश से ही पेमेंट लेने की जिद कर रहे हैं। इस वजह से टेंप्रेरेरी लेबर को कम किया गया है। या यूं कहें कि उनसे काम नहीं लिया जा रहा है। पंकज गुप्ता ने बताया कि मौजूदा समय में इस डिमोनेटाइजेशन के शिकार एमएसएमई इंडस्ट्री के लोग हुए हैं। उन लोगों के पास कुछ भी रुपया नहीं बचा है। काम भी पूरी तरह से बंंद पड़ा है। 

और बिगड़ सकते हैंं हालात 

हिंद मजदूर सभा के गौतमबुद्धनगर के अध्यक्ष आरपीएस चौहान ने बताया कि नोएडा को इंडस्ट्रीयल हब के तौर पर भी जाना जाता है। आज के दौर में परमानेंट लेबर और टेंप्रेरी लेबर में 35-65 का रेशियो होता है। नोटबंदी के असली असर अब देखने को मिल सकता है। जब इंडस्ट्री को अपने परमानेंट लेबर बाहर करेगी। उन्होंने बताया कि आने वाले एक महीने में हालात नहीं सुधरे तो वेस्ट यूपी की इंडस्ट्री से करीब 1.25 लाख पर्मानेंट वर्कर को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। आरपीएस चौहान ने बताया कि ये कुल परमानेंट लेबर सिर्फ 20 फीसदी ही है। जो और भी बढ़ भी सकता है। ऐसे में मोदी सरकार को सोचना चाहिए कि इस स्थिति लोअर मिडिल और मिडिल क्लास फैमिली का घर कैसे चलेगा?

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