बैनर : जी स्टूडियोज, रेहाब पिक्चर्स प्रा लि, ईगल आई एंटरटेनमेंट
निर्माता : डॉ. सत्तार दीवान, निर्देशक : केडी सत्यम
संगीतकार : विपिन पाटवा, स्टारकास्ट : आशीष विद्यार्थी, राइमा सेन, सलीम दीवान, करुणा पांडेय, विनीत कुमार सिंह, रॉबिन दास और मोनिका मुर्थे
रेटिंग: 2-5
बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाने के लिए नए निर्देशक केडी सत्यम ने अपनी फिल्म बॉलीवुड डायरीज में काफी कुछ नया करने की पूरी कोशिश की है। उन्होंने इस फिल्म से इंडस्ट्री के पीछे की हकीकत को बयां करने का भरसक प्रयास किया है। साथ ही उन्हें भरोसा है कि इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने के लिए आने वालों को एक अच्छी सीख मिलेगी।
कहानी: कहानी शुरू होती है, एक सपने से…। विष्णु (आशीष विद्यार्थी) जहां बचपन से ही बॉलीवुड में जाने की चाहत रखता है, वहीं दूसरी तरफ सिरफिरा रोहित (सलीम दीवान) को भी बी-टाउन में कुछ अलग करने की तमन्ना होती है। इसके विपरीत इमली (राइमा सेन) भी अपने बच्चे को बेहतरीन परवरिश देने के लिए बॉलीवुड में ट्राई करने की फिराक में रहती है। तीनों अलग-अलग अपने सपने को पूरा करने की हसरत लिए इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने में लग जाते हैं। इसी दौरान इमली को मुंबई से आया दमन (विनीत कुमार सिंह) मिल जाता है, जो उसके सपने को आगे बढ़ाता है। साथ ही विष्णु अपनी बेटी की शादी के बाद मुंबई जाने का मन बना बैठता है और दूसरी तरफ रोहित अपनी सारी हदें पार कर एक नामचीन स्टार बनना चाहता है। सभी अपने सपनों को पूरा करने में आगे बढ़ ही रहे होते हैं कि अचानक विष्णु को कैंसर हो जाता है और इमली को दमन धोखा देता है। बस, इसी के साथ गजब का ट्विस्ट आता है और कहानी आगे बढ़ती है।
अभिनय: साउथ फिल्मों के स्टार आशीष विद्यार्थी ने एक बार फिर बी-टाउन में अपना लोहा मनवा दिया है। उन्हें अभिनय की तह तक जाने की पूरी कोशिश की है, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी नजर आए। राइमा सेन ने भी अपने अभिनय से लोगों का दिल जीता है। साथ ही सलीम दीवान ने बड़े पर्दे पर अपनी पहली परफॉर्मेंस में ही बाजी मारते दिखाई दिए। करुणा पांडेय और विनीत कुमार सिंह ने भी अपने-अपने किरदान बखूबी निभाए हैं। इसके अलावा रॉबिन दास और मोनिका मुर्थे ने फिल्म में अपनी-अपनी उपस्थित दर्ज कराने में सफल रहे।
निर्देशन: लोगों को चकाचौंध कर देने वाली बी-टाउन की दुनिया में कई उतार चढ़ाव हैं। इस इंडस्ट्री में किसी को अर्श मिलता है, तो किसी को फर्श। जी हां, बॉलीवुड में पर्दे के पीछे क्या कुछ होता है और हर किसी को यहां सफलता मिलती भी है या नहीं। इन सारे सवालों को नव निर्देशक केडी सत्यम ने बड़े ही रोमांचक ढंग से बड़े पर्दे पर उकेरा है। साथ ही वे इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने के लिए आ रही नई पीढ़ी को कुछ सिखाने के लिए काफी हद तक सफल रहे। सत्यम ने वाकई में साबित कर दिखाया है कि वे इंडस्ट्री में कुछ अलग ही करना चाहते हैं। उनके जुदा अंदाज को ऑडियंस भी जमकर पसंद किया है। सत्यम ने कुछ अलग करने का दमदार प्रयास किया है, इसीलिए वे ऑडियंस की वाहवाही बटोरने में थोड़ा सफल रहे। बहरहाल, इसमें अगर कॉमर्शियल और टेक्नोलॉजी के अंदाज को छोड़ दिया जाए तो इस फिल्म की कोरियोग्राफी कहीं-कहीं असफल रही। संगीत (विपिन पाटवा) तो ऑडियंस को भाता भी है, लेकिन गाने की तुलना में काफी हद तक कमजोर रहा।
देखें या ना देखें…बी-टाउन में कुछ कर दिखाने को लेकर सपने देखने वाले और बड़े पर्दे की चकाचौंध को समझने के लिहाज से आप सिनेमाघरों का रुख कर सकते हैं, लेकिन फैमिली एंटरटेंमेंट के लिहाज से नहीं। आगे इच्छा आपकी…।
-रोहित तिवारी
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