मुरादाबाद। पश्चिम यूपी में भगवा रंग को और गहरा करने के लिए भाजपा की रणनीति धीरे-धीरे सतह पर आती दिख रही है। खासकर जातिगत गठबंधन को लेकर इस बार भाजपा काफी सतर्क होकर काम कर रही है। पिछड़े वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ ही अन्य जिम्मेदारियों में भी जातिगत भागीदारी को देखा जा रहा है।
इसी कड़ी में संघ और भाजपा संगठन के आंखों के तारे रहे वेस्ट यूपी प्रभारी भूपेन्द्र सिंह को भाजपा ने एमएलसी बनाकर विधान परिषद में तो भेजा है। वहीं एक तीर से दो शिकार करते हुए जाट बिरादरी को भी ये संदेश दिया है कि भाजपा उनका भी ख्याल रख रही है।
भगवा झंडों से रंग गया स्टेशन परिसरये बात रविवार को तब देखने को मिली जब एमएलसी निर्वाचित होने के बाद भूपेन्द्र सिंह महानगर पहुंचे। वहां मौजूद हजारों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ता उनका स्वागत करने के लिए रेलवे स्टेशन पर उमड़ पड़े। भाजपा कार्यकर्ताओं का आलम ये था कि रेलवे स्टेशन परिसर भगवा झंडों से रंग गया। इस रंग और नारों के बीच एक बार तो खुद भूपेन्द्र सिंह भी गायब हो गए।
स्वागत जुलूस रेलवे स्टेशन से होते हुए बुध बाजार और शहर में होते हुए सिविल लाइंस स्थित उनके आवास पर आकर खत्म हुआ।
जल्द ही सीएम पद के दावेदार का एलान होगापत्रकारों से बातचीत में एमएलसी भूपेन्द्र सिंह ने ये बात भी मानी की पार्टी और संगठन ने उनकी निष्ठा का इनाम उन्हें दिया है। जिसका कर्ज वे आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीताकर चुकाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश कि सपा सरकार से जनता त्रस्त आ चुकी हैं। भाजपा ही उनके सामने विकल्प है और हम मोदी सरकार के दो सालों के कार्यकाल को लेकर जनता के सामने जाएंगे। उन्होंने कहा कि मिशन 2017 के लिए जल्द ही पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा कर देगी साथ ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार का भी एलान कर सकती है। क्योंकि भाजपा कार्यकर्ता चुनाव के लिए कमर कस चुके हैं।
जाट समुदाय के लिए रणनीति तैयारनव निर्वाचित एमएलसी भूपेन्द्र सिंह पहले मुरादाबाद क्षेत्र के प्रभारी थे। हाल ही में उन्हें पश्चिम यूपी का प्रभारी भी बनाया गया और अब एमएलसी। उनके कद को देखते हुए पार्टी में टिकट की चाह रखने वाले दर्जनों नेता भी चरण वंदना करते नजर आए। चूंकि वेस्ट यूपी में जाट समुदाय की संख्या को देखते हुए भाजपा ने जो रणनीति तैयार की है वो दूसरे दलों के लिए जरुर चिंता का सबब बन गई है। भाजपा और संघ उत्तर प्रदेश कि सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं। जिसमें जातीय समीकरणों को वो बिलकुल भी नजर अंदाज नहीं करना चाहती।
अभी आगे टिकट वितरण में भी पार्टी इसी फार्मूले पर ही शायद काम करेगी। क्योंकि इसका कार्यकर्ताओं से रेस्पांस ठीक आ रहा है और बगावत के भी आसार कम हैं। लेकिन, वास्तविक स्थिति क्या होगी ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।
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