लू किरुऊ की दो वर्षीय बेटी टेंग शुझूओ 1998 में सड़क पर खेलते-खेलते लापता
हो गई थी, हर
जगह तलाशा, लेकिन मायूसी ही हाथ लगी
बीजिंग। किसी मां को अगर उसकी खोई हुई संतान 17 साल बाद मिल जाए तो उसकी खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है। चीन में ऐसा ही वाकया सामने आया है। हुआ यूं कि लू किरुऊ की दो वर्षीय बेटी टेंग शुझूओ 1998 में सड़क पर खेलते-खेलते लापता हो गई थी। इसके बाद परेशान मां लू किरुऊ ने पति के साथ मिलकर बेटी को हर जगह तलाशा, लेकिन मायूसी ही हाथ लगी।
जहां गायब हुई वहीं परिवार ने लिया गोद
टेंग के माता-पिता हेनान प्रांत के नेनयेंग शहर में एक स्कूल में कैंटीन चलाते थे। 19 अक्टूबर 1998 को कैंटीन के कुछ कर्मचारी नन्ही टेंग को खेलने के लिए अपने साथ स्कूल के बाहर ले गए, लेकिन लौटते समय उसे सड़क पर ही छोड़ दिया। वहीं से टेंग लापता हो गई। कई दिनों तक खोजने पर नहीं मिली। बाद में उसी शहर के एक परिवार ने उसे गोद ले लिया और नया नाम दिया -चेन गुओली।
बेटी को गले लगाते ही मां के छलके आंसू
तुरंत ही टेंग के माता-पिता से संपर्क साधा गया। हालांकि तब तक वे कैंटीन बेचकर वहां 840 किमी दूर बस गए थे और सब्जी बेचकर गुजारा कर रहे थे। सूचना पाकर दोनों तुरंत नानयांग के लिए रवाना हुए और अपनी बेटी के लिए बनवाया सोने का हार भी लेकर आए। मां ने जैसे ही बेटी को गले लगाया, उनके आंसू निकल पड़े।
बेबी कम होम साइट पर डाली जानकारी
सालों तक टेंग खुद को उसी परिवार का हिस्सा मानती रही, तभी उस परिवार के चेचेरे भाई ने टेंग के सामने सच का खुलासा कर दिया। उसी ने बेबी कम होम साइट पर टेंग की जानकारी डालकर उसके असली माता-पिता को तलाशने की कोशिश भी की। इस साल के शुरू में वेबसाइट पर पोस्ट की गई जानकारी में लिखा गया- अक्टूबर 1998 में चेन गुओली सड़क पर अकेली थी।
डीएनए टेस्ट से पता चला
टेंग के पिता (गोद लेने वाले) ने भी असली माता-पिता से उसे मिलाने में खूब मेहनत की। वे नानयांग शहर की सड़क पर टेंग को लेकर घंटों खड़े रहते थे। हालांकि इससे कोई फायदा नहीं हुआ। इस साल जून में एक गैर सरकारी संगठन के कार्यकर्ताओं ने टेंग का डीएनए सैंपल लिया और जांच के बाद पुष्टि की कि 17 साल पहले बिछड़े उसके माता-पिता नानयांग में ही रहते हैं।
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