महिलाओं को नहीं आना चाहिए शनि के सामने : शंकराचार्य
शुक्रवार को महिलाओं को प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर में प्रवेश मिलने से 400 साल पुरानी परंपरा टूटी
हरद्विार। महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर में शुक्रवार को महिलाओं को प्रवेश मिलने से जहां एक तरफ 400 साल पुरानी परंपरा टूटी वहीं दूसरी तरफ साधु संतों ने इस पर मिली जुली प्रतिक्रिया दी है। ज्योतिष और द्वारिका पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने महिलाओं के पवित्र चबूतरे पर चढ़कर पूजा करने और तेल चढ़ाने की अनुमति मिलने का स्वागत तो किया, लेकिन चेताया भी कि महिलाओं को शनि के सामने नहीं पडऩा चाहिए, शनि की पूजा से अनिष्ट हो सकता है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए शनि की पूजा वर्जित है। दूसरी ओर जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या, दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी और योगगुरु बाबा रामदेव ने मंदिर प्रबंधन को इस फैसले के लिए साधुवाद किया।
शंकराचार्य ने कहा कि शनि ईश्वर या देवता नहीं, वह सिर्फ ग्रह है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि महिलाएं हर क्षेत्र, हर दिशा में आगे बढ़ें, लेकिन धर्म के क्षेत्र में जो मर्यादाएं व परंपराएं उन पर लागू हैं, उसका पालन करें, क्योंकि इसी में उनका हित है। उन्होंने कहा कि मंदिर में भगवान की प्रतिमा का स्पर्श और पूजा का अधिकार केवल उस मंदिर के पुजारी का ही होता है, बाकी सभी को दूर से दर्शन कर फल की प्राप्ति होती है।
इस मामले पर योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सृष्टि निर्माता ईश्वर ने अपनी संतानों में कोई भेद नहीं किया तो मंदिर में भेद कैसे। दक्षिण काली मंदिर पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी न भी कहा कि किसी भी मंदिर में पूजा अर्चना के लिए स्त्री पुरुष भेद किया जान अनुचित है।
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