सुमित आगे लिखते हैं कि शो ऑफ करना अच्छी बात नहीं, परन्तु सादगी का जरूरत से ज्यादा प्रदर्शन इससे भी बुरा है। उन्होंने आगे दिल्ली के सीएम को संबोधित करते हुए लिखा, “मेरे शहर में इस वीकेंड पर इंटरनैशनल फ्लीट रिव्यू का आयोजन होगा। ऐसे मौके अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने और दूसरे देशों के साथ दोस्ती का संबंध बनाने के लिए होते हैं। इस मौके पर 60 देशों के प्रतिनिधि आएंगे। संभावना है कि आपको (केजरीवाल को) भी आमंत्रण मिले। बस इसी वजह से मैं आपको यह खत लिख रहा हूं।”
“सर, आपकी तरह मैं भी एक मकैनिकल इंजिनियर हूं, हालांकि, आईआईटी या ऐसे ही किसी दूसरे प्रतिष्ठित से नहीं पढ़ा हूं। आपकी तरह मैं मारवाड़ी (बनिया) भी हूं। लेकिन, आपकी तरह मेरे अंदर आम आदमी का वह नैचरल आकर्षण नहीं है, इसीलिए बहुत कोशिश करने के बाद भी मैं बस 364 रुपये जुटा पाया हूं। हालांकि, इतने पैसे एक मुख्यमंत्री के लिए काफी नहीं हैं, लेकिन मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपया इस छोटे से योगदान को स्वीकार करें और अपने लिए एक जोड़ी बढ़िया ब्लैक फॉर्मल शूज ले लें। अगर आपको और पैसों की जरूरत हो तो मुझे लिखें, जरूरत पड़ी तो मैं कुछ और पैसे जुटाने के लिए पूरे शहर का चक्कर लगा आऊंगा।”
पत्र के आखिर में सुमित पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन का उदाहरण देते हुए लिखते हैं कि यदि केजरीवाल अपने तरीके में बदलाव नहीं लाते हैं तो राष्ट्रपति भवन अपना तरीका बदल कर वापस पुराने नियम को अपना सकता है।