नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक से बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्रा की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है। इसका उपयोग खुलेआम व धड़ल्ले से आरबीआई की नाक के नीचे होता है। सीजेआई खेहर और जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ ने शुक्रवार को इंटरनेट टेक्रोलॉजी एक्सपर्ट विजय पाल व सिद्धार्थ डालमिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया है। पीठ ने बिटकॉइन को गैरकानूनी व राष्ट्रविरोधी बताया।
आतंकी गतिविधियों में होता है इस्तेमाल
याचिका में कहा गया है कि इस मुद्रा का इस्तेमाल आतंकवाद और घुसपैठ के खिलाफ होता है। इसके अलावा हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी, आतंकियों की भर्ती, घूसखोरी, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग में भी इसका इस्तेमाल होता है।
कर-चोरी और कालेधन में भी प्रयोग
विशेषज्ञ विजय ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि बिटकॉइन जैसी मुद्रा का इस्तेमाल कर चोरी, कालेधन में बढ़ोतरी, मानव तस्करी और यौन शोषण, हवाला कारोबार, गैर कानूनी निवेश और ऑनलाइन जुए में भी होता है। जिस वजह से भारतीय मुद्रा पर बुरा असर पड़ता है।
रिजर्व बैंक विफल रहा रोकने में
याचियों ने कहा कि रिजर्व बैंक व सरकार बिटकॉइन जैसी मुद्रा के कारोबार को रोकने में विफल रही हैं और न ही ऐसा कोई कानून लागू कर पाई हैं।
साइबर हमले के पीछे भी आभासी मुद्रा
विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि हाल में 13 मई को भारत-ब्रिटेन समेत दुनियाभर के कंप्यूटरों को हैक करने में भी इसी आभासी मुद्रा का इस्तेमाल हुआ था। हैकरों ने बड़े पैमाने पर कंप्यूटरों को ठप कर दिया गया था। इसके बदले 19,000 से लेकर 38,000 तक फिरौती की मांग की थी। कंप्यूटरों को हैकिंग से मुक्तकरने के लिए फिरौती के रूप में बिटकॉइन का ही इस्तेमाल किया गया था।
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