नई दिल्ली। टेरी की महिला कर्मचारी जिन्होंने टेरी के डीजी आरके पचौरी पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया है ने पचौरी के नाम एक बेहद तीखा खुला पत्र लिखा है। गौरतलब है कि बेहद दबाव के बीच टेरी गवर्निंग काउंसिल ने टेरी के डीजी पद से पचौरी को हटा दिया था। बाद में पचौरी को एक्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन पद पर प्रमोशन दिया गया है। अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उसने एक खुला खत लिखा है।
ये हैं पत्र के मुख्य़ अंश…
उन्होंने लिखा कि ये शर्मनाक है। एक ऐसे आदमी की प्रमोशन की बात सामने आ रही है जिस पर दफ्तर में यौन उत्पीडऩ, पीछा करने जैसे मामले दर्ज हैं। मुझे फिर बाद में पता चला कि टेरी की गवर्निंग काउंसिल इस महीने में दो बार मीटिंग करने जा रही थी और इस बार इस मीटिंग का मकसद था कि कैसे मेरे ऊपर कीचड़ उछाला जाए और इस पूरी प्रक्रिया को बकवास बताते हुए आरके पचौरी का प्रमोशन सुनिश्चित किया जाए।
टेरी की गवर्निंग काउंसिल ने एक ही महीने के अंदर पचौरी की असुरक्षा को लेकर दो मीटिंग कर ली हो लेकिन मेरी शिकायत या मेरे खत पर उन्होंने अब तक एक भी मीटिंग नहीं की है। यहां तक की वे अभी तक आईसीसी रिपोर्ट पर बातचीत करने के लिए भी मुझसे नहीं मिले हैं।
आईसीसी की रिपोर्ट 19 मई 2015 को जारी हुई थी। उनके पास एक ही महीने में दो बार बोर्ड मीटिंग की क्षमता और समय था लेकिन अगर वास्तविक्ता देखी जाए तो ये मुलाकात एकदम गैरकानूनी थी क्योंकि टेरी के नियमों के मुताबिक टेरी की गवर्निंग काउंसिल साल में महज एक ही बार बोर्ड मीटिंग के लिए मुलाकात कर सकती है।
एक रिसर्च संस्था होते हुए भी हमेशा उन्हीं मीटिंग्स को वरीयता दी जाती थी जिनमें सीनियर डॉयरेक्टर और एरिया कन्वेनर का दबदबा हुआ करता था और इनमें मेरे ऑफिस के दूसरे लोगों को मेल मिलाप और मामला कोर्ट से बाहर निपटाने की धमकियां दी जाती थी।
उन्हें कहा जाता था कि अपनी महिला मित्र को कहो कि मामले को बाहर ही निपटा लें वहीं उसके लिए बेहतर होगा, वैसे भी उसके पास कुछ हासिल करने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है। कोई भी ऐसा दिन नहीं गया जब मुझे मोबाइल पर मैसेज न आए हो जिसमें मुझे धमकाने की कोशिश न की गई हो।
मैंने उन्हें साफ-साफ कह दिया कि शिकायतकर्ता केस से पीछे नहीं हटेगी लेकिन उन्हें विश्वास नही होता था और मुझसे मेरी फैमिली बैकग्राउंड के बारे में पूछा जाता था। आईसीसी खत्म हो गई। आईसीसी की प्रेसीडेंट ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वर्तमान में आईसीसी के पास अपने लोग है। टेरी और आरके पचौरी को अलग करना बेहद मुश्किल है जब मैं सोच रही थी कि बेहतर दिन शुरू होने वाले है उसी बीच चीजें बद से बदतर होती चली गईं।
गवर्निंग काउंसिल के नए डीजी चार अदालती केस के मंझधार में फंसे हुए है। नए डीजी न केवल कोर्ट कचहरी में अपनी हाजिरी लगवा चुके हैं बल्कि सोने पर सुहागा खबर ये भी है कि गवर्निंग काउंसिल उन्हें अब ऑपरेश्नल पॉवर भी देने जा रही है और इसका कारण है विदेशों से आने वाली फंडिंग।
मुझे अपनी संस्था से कोई मदद नहीं मिल रही थी और गवर्निंग काउंसिल और टेरी के बाकी कर्मचारियों ने दिखा दिया है कि इनके लिए क्या जरूरी है। नौकरी छोडऩे के बाद भी इन लोगों ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा और टेरी के मीडिया एक्सक्यूटिव ने प्रेस में मेरी आइडेंटी जाहिर कर दी।
टेरी मे कार्यरत महिलाएं जिन्होंने इस मामले के दौरान चुप्पी बनाए रखी उन्हें प्रमोशन और घूमने फिरने के पैकेज जैसी कई सुविधाओं से लबरेज कर दिया गया पर जब मैंने जब अपनी जबान खोली तो मुझे अलग कर दिया गया और मेरी कई महीनों तक सैलरी रोक ली। बिना सैलरी और इस विवाद की वजह से मेरी नींदे उडऩे लगी।
आखिर में मैंने टेरी को छोडऩे का फैसला कर लिया और मेरे लिए सबसे बेहतर यही फैसला हो सकता था। ये फैसला मेरी मानसिक मजबूती के लिए बेहद जरूरी था। टेरी से इस्तीफा देने के बाद मुझे बेहद शांति का अनुभव हुआ। मुझे लगता है कि मैं बेहतर डिजर्व करती हूं और मैं इस माध्यम के द्वारा ये भी बताना चाहती हूं कि मैं इस केस को इसके मकाम तक ही ले जाकर दम लूंगी।
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