नई दिल्ली। विदेश सचिव स्तर की वार्ता को पटरी पर लाने की भारत और पाकिस्तान की कोशिशों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोदी सरकार को पाकिस्तान के प्रति ‘पहले आतंकवाद पर बात’ की अपनी नीति पर कायम रहने की नसीहत दी है। संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर के ताजा अंक में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि पठानकोट हमले के बारे में भारत द्वारा उपलब्ध करायी गई जानकारी के आधार पर पाकिस्तान को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
भारत के साथ वार्ता आगे बढ़ाने के लिए पाक को कार्रवाई करनी होगीः संघ
संपादकीय में कहा गया है कि भले ही यह सही हो कि पाकिस्तान में कुछ आतंकवादी तत्व अपने आप से इन गतिविधियों में सक्रिय हों, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि ये तत्व भारत के प्रति पाकिस्तान की नीतियों के कारण ही पैदा हुए हैं। संपादकीय में कहा गया है कि यदि पाकिस्तान 2007 में लाल मस्जिद प्रकरण में चीन के कहने पर कार्रवाई कर सकता है या अमरीका को एबटाबाद में ओसामा की हत्या के लिए कार्रवाई करने देता है तो उसे भारत के साथ वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए भी कुछ कार्रवाई करनी चाहिए। पाकिस्तान को आतंकवाद के मोर्चे पर कोई कार्रवाई करनी होगी तभी उसकी इस बात पर विचार किया जा सकता है कि वह भी आतंकवाद का दंश झेल रहा है।
संपादकीय में कहा गया है कि ये तत्व किसी देश की सीमा में रहते हुए वहां के परोक्ष या प्रत्यक्ष समर्थन के आधार पर ही अपनी गतिविधि चलाते हैं इसलिए यह वहां की सरकार पर निर्भर करता है कि वह इन तत्वों को पराजित करना चाहती है या नहीं। पाकिस्तान की कार्रवाई में यह बात झलकनी चाहिए कि आतंकवाद उसके लिए भी इतना ही बडा खतरा है। इसके बिना कोई समग्र बातचीत नहीं हो सकती। संघ ने देश में मौजूदा सरकार को भी यह याद दिलाया है कि पिछली सरकारों के समय से ही यह नीति रही है कि पाकिस्तान के साथ संबंधों का सामान्य होना इस बात पर निर्भर करता है कि वह आतंकवाद के मोर्चे पर क्या कार्रवाई करता है।
संपादकीय में कहा गया है कि सरकार में कोई भी पार्टी रही हो, लेकिन भारत का निरंतर यही रूख रहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकते । एक राष्ट्रवादी सरकार से लोगों को सुरक्षा के मोर्चे पर जो अपेक्षा है उसे भी समझा जाना चाहिए। यह संपादकीय ऐसे समय पर लिखा गया है जब भारत और पाकिस्तान पठानकोट आतंकवादी हमलों के कारण पटरी से उतरी विदेश स्तरीय वार्ता की तारीख फिर से तय करने के लिए सहमत हुए है। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से कहा था कि यह वार्ता तभी संभव होगी जब पाकिस्तान भारत द्वारा इस हमले के बारे में उसे उपलब्ध कराये गये सबूतों पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करे। दोनों देशों के विदेश सचिवों के बीच गत 15 जनवरी को वार्ता होनी थी लेकिन इससे पहले सीमा पार से आये आतंकवादियों ने अपनी साजिश को अंजाम देते हुए पठानकोट वायु सैनिक अड्डे पर हमला किया जिसमें सात सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।
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