नई दिल्ली। इस साल सर्वोच्च बहादुरी के लिए लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी को अशोक चक्र से नवाजा गया है। गोस्वामी उस टीम का हिस्सा थे जिसने कश्मीर घाटी में 11 दिनों में लश्कर के 10 आतंकियों को ठिकाने लगाया था। अपने दो साथियों की जान बचाने के दौरान गोस्वामी शहीद हो गए थे। अशोक चक्र शांति काल में बहादुरी के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
क्या हुआ था?
मुठभेड़ होने पर गोस्वामी के दो साथी जख्मी हो गए थे। अंधाधुंध गोलीबारी के बीच उन्होंने तुरंत दोनों को बचाया। हालांकि ऐसा करने में वह बुरी तरह जख्मी हो गए। इसके बावजूद उन्होंने दोनों आतंकियों को मार गिराया और अपने साथियों की जान की रक्षा की। गोस्वामी का जख्मी अवस्था में निधन हो गया और उन्होंने भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपरा में शीर्ष बलिदान दिया।
जगदीश चंद्र को कीर्ति चक्र-
इसी तरह पठानकोट में हुए आतंकवादी हमले के दौरान आतंकियों से बहादुरी से निपटने वाले सिपाही जगदीश चंद्र को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। जगदीश चंद्र आतंकवादियों से बिना हथियार ही भिड़ गए थे। उन्होंने एक आंतकी की राइफल छीनकर उसे मार डाला था। लेकिन दुखद बात यह रही कि इस सब के बीच वह ताबड़तोड़ गोलीबारी कर रहे दूसरे आतंकवादियों की गोली से वे शहीद हो गए।
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