तीन गुणा बढ़ सकती है फीस, महंगी होगी आईआईटी की पढ़ाई
पैनल ने सुझाव दिया है कि आईआईटी को छात्रों का वर्तमान वार्षिक फीस 90,000
रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए सालाना करने की स्वीकृति दी जाए
•Feb 02, 2016 / 11:07 am•
नई दिल्ली। देश के सर्वाधिक प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी के निदेशकों की एक कमेटी ने अपने संस्थानों की वित्तीय स्वायत्तता के लिए छात्रों से वसूली जाने वाली फीस में तीन गुना वृद्धि करने और 2,000 करोड़ रुपए की नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कम्पनी निर्माण का सुझाव दिया है। एनबीएफसी भविष्य की परियोजनाओं, ढांचागत शोध और कैम्पस स्थान के बेहतर उपयोग के लिए ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराएगा।
कमेटी में आईआईटी कानपुर, मुम्बई, मद्रास और हैदराबाद के निदेशक शामिल थे। कमेटी ने मानव संसाधन मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर आईआईटी की वित्तीय स्वायत्तता का रोडमैप भी खींचा है। पैनल ने सुझाव दिया है कि आईआईटी को छात्रों का वर्तमान वार्षिक फीस 90,000 रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए सालाना करने की स्वीकृति दी जाए।
सूत्रों के अनुसार प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। समझा जाता है कि इस साल के बजट में इसकी घोषणा कर दी जाएगी। कमेटी का कहना है कि वेतन- भत्तों, मेन्टीनेन्स समेत अन्य खर्च बढ़ जाने से आईआईटी का व्यय बढ़ गया है। इन उपायों से राहत मिल सकेगी। पहली बार अक्टूबर-2015 में मानव संसाधन मंत्री की अध्यक्षता में आईआईटी काउंसिल की हुई बैठक में विचार-विमर्श के दौरान यह मुद्दा उठा था जिसे बाद में कमेटी के हवाले कर दिया गया था।
सूत्रों के अनुसार अंतर-मंत्रिमंडलीय समूह में इस बारे में पहले ही विचार हो चुका है। समझा जाता है कि वित्त मंत्रालय भी एनबीएफसी बनाने के लिए तैयार है। 2,000 करोड़ रुपए की राशि में से आधी सरकार से और बाकी कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉसिबिलिटी (सीएसआर) नवाचार के तहत जुटाई जाएगी। ऋण को शोध और परामर्श कार्य से मिली राशि में से चुकता किया जाएगा।
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