दिल्ली मेट्रो ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, नहीं बढ़ा सकते फेरे
राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं की सुनवाई के दौरान गुरुवार को दिल्ली मेट्रो ने अपने जवाब में यह बात कही
नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ट्रेनों की आवाजाही में बढ़ोतरी करना संभव नहीं है, क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा खर्च आएगा। सॉलिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने शीर्ष कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर और न्यायधीश आर. बानुमति की पीठ को बताया कि वर्तमान में हर 2.15 मिनट की बजाए हर 90 सेकेंड पर मेट्रो ट्रेन चलाने में बुनियादी संरचना में बहुत ज्यादा निवेश की जरूरत होगी।
शीर्ष कोर्ट दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के मामले पर कई याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। हालांकि सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि दिल्ली मेट्रो अपने कोचों की संख्या बढ़ा रही है और वर्तमान के छह कोचों की बजाए आठ कोचों वाली ट्रेन ला रही है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली मेट्रो 429 अतिरिक्त कोचों का आर्डर दे चुकी है। वर्तमान में दिल्ली मेट्रो के पास 1,282 कोच हैं। उन्होंने कहा कि ये 429 अतिरिक्त कोच मेट्रो के तीसरे चरण में इस्तेमाल किए जाएंगे जिसका काम दिसंबर 2016 से दिसंबर 2017 के बीच पूरा हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदूषण के चलते दिल्ली सरकार ने 1 जनवरी से 15 जनवरी तक ट्रायल के तौर पर दिल्ली में क्षम-विषम की गाडिय़ों को चलाने की इजाजत दी थी। इस दौरान बढ़ते यात्रि दबाव को कम करने के लिए दिल्ली मेट्रो ने नियमित 3,200 फेरों के अलावा प्रत्येक दिन 70 फेरे अतिरिक्त लगाए।
पिछले साल बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को फटकारल लगाते हुए अपने आदेश में कहा था कि ऐसा लगता है आप देश की राजधानी में नहीं, बल्कि एक गैस चैंबर में रह रहे हैं जिसके बाद सरकार को यह कदम उठाना पढ़ा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिल्ली की हवा को दुनिया की सबसे प्रदूषित करार दिया था।
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