लखनऊ। एक दिन में बहुत कुछ बदल सकता है। ऐसे ही उदाहरण दिख रहा है समाजवादी पार्टी में। बीते दिनों सबसे बड़े राजनैतिक परिवार और सूबे के सत्ताधारी परिवार में घमासान मचा था। इसका रिएक्शन सड़कों पर खुले आम दिखा। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने जैसे तैसे इस विवाद को शांत किया और अब एक बार फिर टिकट बटवारे को लेकर इस परिवार में रार के संकेत मिल रहे हैं।
एक ही दिन सपा की दो अलग-अलग करनी
शनिवार सुबह एक कार्यक्रम में जहां मुख्यमंत्री ने साफ़ सुथरी और विकास की राजनीति के भरोसे आगामी चुनाव में जीतने की बात कहते हैं तो उसी दिन देर शाम प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव विधानसभा में 23 उम्मीदवारों की घोषणा की। एक तो इसमें अखिलेश के करीबियों को जगह नहीं मिली और दूसरी इन उम्मीदवारों में कई दागदार उम्मीदवार है जिन्हें खुद सीएम अखिलेश ने आपत्ति जताई थी। आपको बतादें बीते दिनों पारिवारिक कलह के बाद सीएम ने साफ़ तौर पर टिकट वितरण का अधिकार माँगा था। इस घटनाक्रम को देखते हुए राजनैतिक पंडितों का मानना है कि एक बार फिर ये पारिवारिक कलह का कारण बन सकता है।
पार्टी में एक ओर अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी को लेकर मतभेद चल रहे है वही दूसरी ओर बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई सिगबततुल्लाह और माफिया अतीक अहमद को उम्मीदवार बनाया है।
बाहुबलियों का विरोध कर चुके हैं अखिलेश कानपूर कैंट से प्रत्याशी अतीक अहमद को 2012 में अखिलेश यादव ने पार्टी में जगह देने से मना कर दिया था। हालाँकि 2014 में उन्हें सपा से ही लोकसभा टिकट देदी गयी। सीएम अखिलेश की नाराज़गी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि कुछ दिन पूर्व इलाहाबाद के एक कार्यक्रम में सीएम ने अतीक अहमद को धक्का देकर साइड कर दिया था। सिगबततुल्लाह की पार्टी कौमी एकता दल का सपा में विलय के विरोध में भी अखिलेश थे।
ये भी हैं वजह यही नहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिन मंत्री राज किशोर सिंह को बर्खास्त किया था उन्हीं के भाई बृज किशोर सिंह को सपा ने अब प्रत्याशी बनाया है। सूत्रों का कहना है कि ये शिवपाल यादव के करीबी हैं। इससे पहले एमएलसी चुनाव में बृज किशोर का टिकट तय हुआ था जिसे मुख्यमंत्री की पहल पर संतोष यादव को देदिया गया।
नज़दीकियों का दौर भी कुछ ऐसा है कि एक कार्यक्रम में जब जावेद आब्दी अखिलेश की तारीफों के पुल बाँध रहे थे तब शिवपाल यादव ने उन्हें मंच से धक्का देकर माइक से दूर किया था। उसके कुछ दिनों बाद वह सिंचाई विभाग में सलाहकार बना दिए गए। कुल मिला कर पहले संगठन से अखिलेश के करीबियों को दूर किया गया और अब उन्हें टिकट बंटवारे में जगह नहीं पा रही है।
ऐसे में टिकट वितरण को लेकर घमासान बढ़ने के आसार हैं। शायद शिवपाल भी इस बात को अच्छे से समझते हैं इसलिए उम्मीदवारों की घोषणा के बाद उन्होंने साफ़ तौर से कह दिया कि ये वितरण नेता जी की मर्ज़ी से ही हुआ है।
Hindi News / Lucknow / एक बार फिर आमने-सामने होगा यादव परिवार, इस मुद्दे पर बढ़ेगी रार