KGMU के इस डॉक्टर ने की मुश्किल सर्जरी, इस एथलीट से हुए Inspire
डॉ. कुरील ने बताया कि जब वह राष्ट्रपति भवन पद्मश्री अवार्ड लेने के लिए दिल्ली गए थे तो उन्होंने अवार्ड कार्यक्रम में दीपिका कुमारी को देखा और उनके फर्श से अर्श तक के सफर के बारे में सुना।
लखनऊ. केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के पद्मश्री डॉक्टर एसएन कुरील ने एक ढाई साल की बच्ची की एक्सट्रोफी ब्लैडर की समस्या को सर्जरी के माध्यम से बिलकुल ठीक कर दिया है। अब बच्ची दूसरे लोगों की तरह सामान्य जीवन जी सकती है।
उन्होंने बताया कि बच्ची का पिता एक मनरेगा मजदूर है और इस सर्जरी में डेढ़ से दो लाख रुपये का खर्चा आता है। जिससे बच्ची का पिता इतनी बड़ी रकम को देने में सक्षम नहीं था। जिसके बाद चिकित्सा विश्वविद्यालय के विपन्न कोटे के सहयोग से बच्ची का इलाज किया गया। जिसके तहत मात्र 12 हजार रुपये में बच्ची की सर्जरी की गयी।
डॉ. कुरील ने बताया कि जब वह राष्ट्रपति भवन पद्मश्री अवार्ड लेने के लिए दिल्ली गए थे तो उन्होंने अवार्ड कार्यक्रम में दीपिका कुमारी को देखा और उनके फर्श से अर्श तक के सफर के बारे में सुना। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने उस बच्ची को ठीक करने की ठान ली। उनको लगा कि अगर ये बच्ची बड़ी होकर दीपिका कुमारी की तरह बन गयी तो इसको ठीक करके वह देश की उपलब्धि में छोटा सा योगदान दे सकते हैं। कानपुर की रहने वाली थी बच्ची 17 अक्टूबर 2013 को कानपुर देहात के गांव प्रधानपुर के रहने वाले मनुज की पत्नी शीलू (23 ) ने एक बच्ची को जन्म दिया। इस बच्ची को जन्मजात एक्सट्रोफी ब्लैडर की समस्या थी। इसमें बच्ची की पेशाब की थैली बाहर आ गयी थी और पेशाब टपकता रहता है। बच्ची के पिता ने बच्ची के इलाज के लिए कानपुर मेडिकल कॉलेज सहित तमाम जगहों पर दिखाया लेकिनकहीं सफलता प्राप्त नहीं हो पायी। उसके बाद कानपुर मेडिकल कॉलेज के ही एक केजीएमयू में डॉ. एसएन कुरील को दिखाने की सलाह दी। इस तरह से केजीएमयू लाने में बच्ची के पिता को 9 महीने का समय लग गया क्योंकि लोगों को नहीं पता है कि केजीएमयू में इस तरह की बीमारी का इलाज होता है। जिसके बाद बच्ची का पिता फरवरी 2016 में बच्ची को लेकर पहली बार डॉ. कुरील की ओपीडी में आया। सभी स्थितियों को देखने के बाद एक अप्रैल को बच्ची का ऑपरेशन किया गया। ये ऑपरेशन सुबह 10 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक चला और सफलता प्राप्त हुई।
35 हजार में एक को ऐसी समस्या
एक्सट्रोफी ब्लैडर की समस्या बहुत रेयर हैं। 35 हजार बच्चों में एक को एक्सट्रोफी ब्लैडर की समस्या होती है। इसलिए पूरे देश में इस रोग की सर्जरी करने वाले गिने-चुने डॉक्टर ही हैं। डॉ. कुरील ने बताया कि उनके पास इस सर्जरी को सीखने के लिए कई डाक्टरों के फ़ोन आते रहते हैं।
1999 से कर रहे हैं सर्जरी
डॉ. एसएन कुरील सन् 1999 से एक्सट्रोफी ब्लैडर की सर्जरी कर रहे हैं। अब तक करीब 40 लोगों को इस समस्या से निजात दिला चुके हैं। इसके आलवा इस तरह की समस्या से निजात दिलाने के लिए देश के चुनिंदा संस्थानों में केजीएमयू शामिल है।
ऐसे आता है इस सर्जरी में दो लाख का खर्चा
– ऐसे केसेज में इलाज के दौरान ब्लड छलकता रहता है जिसको काबू करने के लिए डिफ्लॉक्स इंजेक्शन लगाया जाता हैं, जिसकी कीमत 40 हजार के करीब होती है।
– एक्सट्रोफी ब्लैडर की सर्जरी में कम से कम 50 से 60 टाँके लगाए जाते हैं जिसमें एक टाँके में करीब 600 से 700 का खर्चा आता है।
– इसके अलावा करीब एक महीने हॉस्पिटलाइजेशन का खर्चा उठाना पड़ता है।
ऑपरेशन टीम
सर्जरी – प्रो. एसएन कुरील, डॉ. अर्चिका, डॉ. दिगंबर, सिस्टर वंदना और उनकी टीम
एनेस्थेसिया – प्रो. अनीता मलिक, प्रो. विनीता सिंह और उनकी टीम
वार्ड – सिस्टर राजदेई सहित उनकी टीम।
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