लखनऊ.उत्तर प्रदेश के शामली के अंतर्गत आने वाला कैराना अचानक हिन्दुओं के पलायन की वजह से सबकी नज़रों में आ गया है । मुस्लिमों के अत्याचार और अपराधों से बचने के लिए हिन्दुओं ने वहां से दूर जाना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश के इस कश्मीर का इतिहास आप जानकर हैरान रह जाएंगे। कैराना पहले से ही बदनाम रहा है। पाकिस्तानियों से यहां के लोगों का अच्छा सम्बन्ध रहा है। फिलहाल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कैराना मुद्दे पर से जल्द पर्दा उठा देगी लेकिन आज पत्रिका आपको इस जिले के इतिहास की तरफ ले जाएगा।
नब्बे का वह दौर था जब कैराना के लोगों का आना जाना पाकिस्तान में खूब बढ़ गया था। समझौता एक्सप्रेस से लोग पाकिस्तान तक व्यापार करने जाते थे। पान, सुपारी लेकर पाकिस्तान जाने वाले कैराना के लोगों ने सोना, नशीले पदार्थ और अवैध हथियार लाने लगे। इन अपराधिक गतिविधियों की वजह से कैराना के दामन में पहले ही दाग लग चुका है।
इन गतिविधियों के शुरू होते ही तस्करी की जड़ें कैराना में मजबूत होने लगी। शासन और प्रसाशन मौन था और कैराना बर्बाद हो रहा था। कश्मीर की तरह यहां अलगाववाद दिल में घर कर रही थीं। उस दौर में तस्करों में सबसे बड़ा नाम इकबाल काना का था। जो अब पाकिस्तान में ही बस चुका है। वह पाकिस्तान से नकली नोटों और अवैध असलहों का नेटवर्क उत्तर प्रदेश में चलाने लगा। यह भी पढ़ें-ऐसा क्या हुआ था जो सीएम अखिलेश को चूल्हे पर बनना पड़ा था खाना! पढ़िए अनसुनी दास्तां
कैराना के हालात पहले से ही बिगड़े हुए थे। अपराध चरम पर थे जिसकी वजह से दो समुदायों के बीच के झगड़े बढ़ रहे थे। सूत्रों का कहना है की पलायन का सिलसिला बहुत पहले ही शुरू हो चुका था।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग देगा रिपोर्ट हाल ही में कैराना पलायन प्रकरण की जांच करने के लिए दिल्ली से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने तीन दिनों तक कैराना का दौरा किया। इन तीन दिनों तक टीम ने वहां के बारे में एहम जानकारी जुटाई है। भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने कैराना से 346 हिन्दू परिवारों के पलायन की सूची जारी की थी। टीम का नेतृत्व आयोग के डिप्टी एसपी रवि सिंह ने किया। अब जल्द ही आयोग पलायन का खुलासा करेगी।