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लखनऊ

नसीमुद्दीन सिद्दीकी होंगे समाजवादी पार्टी में शामिल, अखिलेश यादव का इंतजार!

कभी बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के सबसे खास सिपहसालारों में से एक नसीमुद्दीन सिद्दीकी समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के विदेश से लौटने के बाद नसीमुद्दीन कुछ पूर्व विधायकों और समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी में अपने मोर्चे का विलय कर सकते हैं। 

लखनऊJul 04, 2017 / 10:41 am

नितिन श्रीवास्तव

nasimuddin akhilesh

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लखनऊ. कभी बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के सबसे खास सिपहसालारों में से एक नसीमुद्दीन सिद्दीकी समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक नसीमुद्दीन सिद्दीकी सपा के कई बड़े नेताओं के संपर्क में हैं और बातचीत अपने अंतिम दौर में है। जानकारी के मुताबिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के विदेश से लौटने के बाद नसीमुद्दीन कुछ पूर्व विधायकों और समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी में अपने मोर्चे का विलय कर सकते हैं। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में झांसी जिले के नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफज़ल सिद्दीकी को विधानसभा चुनाव 2017 में बीएसपी को मिली करारी हार के बाद निकाल दिया गया था। बीएसपी के नेशनल जनरल सेक्रेटरी सतीश चंद्र मिश्रा ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर टिकट के लिए पैसा लेने, अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था।




बीएसपी ने दी है याचिका

बीएसपी से निकाले जाने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने राष्ट्रीय बहुजन समाज मोर्चा का गठन किया है। वहीं बीएसपी ने विधान परिषद से नसीमुद्दीन की सदस्यता खत्म करने के लिए याचिका दाखिल की है। जिसके बाद नसीमुद्दीन ने सफाई देते हुए बताया है कि उनका मोर्चा एक गैर राजनीतिक मोर्चा है। सूत्रों के मुताबिक सिद्दीकी ने मोर्चे को राजनीतिक दल इसीलिए नहीं घोषित किया था ताकि उनकी विधान परिषद में सदस्यता बनी रहे और मोर्चा के जरिए वे अपनी राजनीतिक ताकत बनाए रखें।




मायावती सरकार में पॉवरफुल थे नसीमुद्दीन

जब बसपा सुप्रीमो मायावती 1995 में पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, तो उन्होंने सिद्दीकी को कैबिनेट मंत्री का पद दिया था। इसके बाद 21 मार्च 1997 से 21 सितंबर 1997 तक मायावती की सरकार में भी नसीमुद्दीन मंत्री रहे। वहीं 3 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक नसीमुद्दीन एक साल के लिए कैबिनेट का भी हिस्सा रहे। फिर 13 मई 2007 से 7 मार्च 2012 तक मायावती की सरकार में नसीमुद्दीन फिर मंत्री बने। नसीमुद्दीन को मायावती का सबसे करीबी माना जाता था।




चल रहे हैं कई मामले

आपको बता दें कि मायावती के साथ ही नसीमुद्दीन सिद्दीकी भी ताज कॉरीडोर मामले में सह-आरोपी रहे हैं। इसके अलावा यूपी का सतर्कता विभाग कई मामलों में नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ जांच कर रहा है। इनमें बीएसपी सरकार के दौरान पार्कों और मेमोरियल के निर्माण में अनियमितता का आरोप है। इसके साथ ही आय से अधिक संपत्ति मामले में भी नसीमुद्दीन के खिलाफ जांच चल रही है। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में बहुजन समाज पार्टी के सिर्फ 19 सीटों पर सिमटने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी के लिए मुसीबत बढ़ना शुरू हो गई थीं और आखिर में उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।


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