लखनऊ. मुलायम की ना-ना और अखिलेश की हां-हां के बीच समाजावादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने गठबंधन से साफ इनकार कर दिया। मुलायम, अखिलेश और शिवपाल को लगता है कि उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर विधानसभा चुनाव जीता जा सकता है, लेकिन कांग्रेस से गठबंधन पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नरम रुख बनाए हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस से गठबंधन होने पर यूपी में 300 से ज्यादा सीटें जीती जा सकती हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस समाजवादी पार्टी की जरूरत है। क्योंकि यादव परिवार में मची कलह के बीच उसका बेस वोट बैंक (मुस्लिम वोटर) भ्रम की स्थिति में है।
मुसलमानों को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती की रणनीति आक्रामक है और सोची समझी है। पार्टी दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे विधानसभा चुनाव में नैया पार लगाना चाहती है। मायावती मुस्लिम मतदाताओं को यह बताने में कतई नहीं चूक रही हैं कि सपा को वोट देना मतलब भाजपा की मदद करना है। ऐसे में समाजवादी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन कर मायावती की रणनीति की धार कम कर सकती है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस संग गठबंधन की स्थिति में मुस्लिम वोटरों का सपा से बसपा के पाले में शिफ्ट होने की संभावनाओं को कम किया जा सकता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि मुस्लिम हमेशा उसे ही वोट करते आया है जो भाजपा को सत्ता में आने से रोक सके। जब एक मंच से सोनिया गांधी, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और राहुल गांधी जैसे नेता मुस्लिम वोटरों से मतदान के लिए आह्वान करेंगे तो वह ज्यादा प्रभावी होगा।
कांग्रेस को भी सपा की जरूरत
2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने जहां 224 सीटों पर विजय हासिल की थी, वहीं कांग्रेस ने 28 सीटें पर अपना परचम लहराया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 355 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे जिनमें से 240 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में उसके पास सही मायने में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों का ही टोटा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए भी समाजवादी पार्टी जरूरी है।
गठबंधन पर कांग्रेस ने दो फाड़
गठबंधन के सवाल पर कांग्रेस दो धड़ों में बंटी नजर आती है। सूत्रों की मानें तो पार्टी के ज्यादातर विधायक गठबंधन के पक्षधर हैं, जबकि संगठन के पदाधिकारी चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कांग्रेस को अकेले ही लड़ना चाहिए। संगठन का मानना है कि गठबंधन के बाद पार्टी सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पाएगी, जिसका नुकसान कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा। क्योंकि उन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस कमजोर हो जाएगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि गठबंधन की बातों से पार्टी कार्यकर्ता भ्रमित और हतोत्साहित होता है।
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