लखनऊ. भविष्य में लखनऊ के लोगों को पानी के लिए युद्ध ना करना पड़े इसके लिए शहर के वैज्ञानिकों का दल जल संरक्षण के लिए आगे आया है। वैज्ञानिक 16 से 22 जुलाई तक भू-गर्भ जल को बचाने के लिए बच्चों और बड़ों को जागरूक करेंगे।
भू-गर्भ जल विभाग उत्तर प्रदेश के वैज्ञानिकों की मानें तो बीते एक दशक के अंदर लखनऊ का जल स्तर लगातार घट रहा है। शहर के कई इलाकों में भू-गर्भ जल संकट की स्थिति में पहुंच चुका है। ऐसे हालत में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र की तरह लखनऊ में पानी के लिए लोगों को जंग ना लड़नी पड़े इसके लिए वैज्ञानिक जागरूकता अभियान चलाने जा रहे हैं।
भू- जल बचाने के लिए राजधानी के आंचलिक विज्ञान केंद्र में शनिवार को वैज्ञानिक जुटेंगे। इस कार्यक्रम का उद्घाटन लघु सिंचाई एवं भू-गर्भ जल विभाग के विशेष सचिव राम केवल और केंद्रीय भूजल परिषद के उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक वाई.बी.कौशिक करेंगे। आंचलिक विज्ञान केंद्र के परियोजना समायोजक उमेश कुमार रस्तोगी ने बताया की इस मौके पर स्कूली बच्चों के लिए क्विज कॉम्पिटिशन का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्घाटन सुबह 11 बजे होगा।
उमेश कुमार ने बताया की साइंस सिटी में प्रतिदिन बच्चों के लिए विभिन्न प्रतियोगिता का आयोजन होगा। इसमें बच्चों से अंडर ग्राउंड वाटर के बारे में बात की जाएगी। बच्चों को नुक्कड़ नाटक और पपेट शो के जरिये जल संरक्षण का महत्त्व बताया जायेगा। कार्यक्रम के दौरान ही बच्चों को यह भी बताया जाएगा की घर में दैनिक काम काज में किस तरह से पानी बचाया जाए।
वर्ष 2025 तक होगी भयावह स्थिति
केंद्रीय भूगर्भ जल बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ के.के.सिंह ने बताया कि दुनिया में जल की उपलब्धता 1989 तक 9000 क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति थी जो 2025 तक 5100 क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति हो जाएगी। यह स्थिति मानव जाति के लिए संकट पैदा कर देगी। एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में 86 फीसदी बीमारियां दूषित पेयजल की वजह से होती हैं। आज 1600 जलीय प्रजातियां जल प्रदूषण के कारण लुप्त होने के कगार पर हैं। विश्व में 1.10 अरब लोग दूषित पेयजल पीने को मजबूर हैं और साफ पानी के बगैर अपना गुजारा कर रहे हैं।
भारत में 4.4 करोड़ लोग बेहद दूषित पानी पी रहे हैं
देश में सिंचाई के लिए 70 प्रतिशत पानी भूमिगत जल स्रोतों से मिलता है
घरेलू काम के लिए 80 प्रतिशत जल की आपूर्ति भूमिगत जल स्रोतों से की जाती है
देश की राजधानी दिल्ली में चार घंटे और मुंबई में पांच घंटे पानी की आपूर्ति हो रही है
भारत के 39 प्रतिशत परिवारों को ही घरों में पेयजल की सुविधा मिलती है
22 प्रतिशत परिवारों को नल से पानी मिल रहा है
भारत में एक सर्वे के अनुसार देश में दो लाख से भी अधिक ऐसे स्कूल हैं जिन्हें पीने का पानी आज तक नहीं मिला
देश में 28.6 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जिन्हें पीने का पाीन लेने के लिए 500 मीटर से अधिक की दूरी तय करनी होती है।
प्रदेश में भूजल स्थिति जिला भूजल रिचार्ज हे.मी. भूजल दोहन हे.मी. भूजल दोहन
आगरा 82214.01 93550.95 113.79
अलीगढ 86808.49 1299.40 82.13
इलाहाबाद 117531.00 9513.46 56.89
लखनऊ 64315.39 44110.35 68.58
अमेठी 100780.78 69006.24 68.47
कानपुर 78787.48 66600.54 84.53
शहरी क्षेत्र में भूजल गिरावट की स्थिति गंभीर
मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, आगरा में 45 से 91 सेंटी मीटर की दर से हर साल भूजल स्तर नीचे जा रहा है। गांव की तुलना में शहरी क्षेत्र में पानी का दोहन ज्यादा हो रहा है।
प्रदेश में बारिश की स्थिति
69.56 लाख हे.मी. बारिश का जल मिट्टी में सोख लिया जाता है और नमी के रूप में उपस्थित रहता है
41.20 लाख हे.मी. बारिश का पानी वाष्पित हो जाता है
36.37 लाख हे.मी. बारिश का पानी भूगर्भ जल स्रोतों में समाहित होता है
88.27 लाख हे.मी. बारिश का पानी हर साल व्यर्थ हो जाता है