लखनऊ.सीएम अखिलेश यादव का एक दिवसीय लखीमपुर खीरी का दौरा सोमवार को खत्म तो हो गया लेकिन इस दौरान उनको वह दिन याद आए जो आज तक नहीं भूले। उनको एक वक्त के खाने के लिए लकड़ी का जुगाड़ कर खाना बनाना पड़ा था। दरअसल वह बसपा सुप्रीमों मायावती के राज में एक बार दुधवा गए थे तब उन्हें वहां बहुत कुछ झेलना पड़ा पड़ गया था जिसकी टीस उनके लखीमपुर दौरे के दौरान निकली।
वह उस दौर को याद करके बेहद दुखी हो गए जब वह एक बार अपने कार्यकर्ताओं के साथ दुधवा घूमने आए थे। सीएम अखिलेश ने आप बीती सुनाते हुए कहा की तत्कालीन सरकार के इशारे पर दुधवा में ना तो उनको रुकने के लिए गेस्ट हॉउस मिला था ना ही वहां खाने का कोई इंतेज़ाम था। उन दिनों की सरकार के इशारे पर दुधवा नेशनल पार्क के सारे अधिकारियों को कुछ दिनों की छुट्टी पर इसलिए भेज दिया गया था की मैं वहां जा रहा था। दुधवा नेशनल पार्क में कैंटीन के कर्मचारी भी वहां से भाग निकले थे। उस स्थिति में मैंने वहां रुकने की ठान ली थी। हमने और हमारे कार्यकर्ताओं ने लकड़ी जलाकर खाना बनाया था।
किंजल सिंह दुधवा विवाद को आड़े हाथों लिया सीएम बोले की दुधवा की हालत सही हो तब दुधवा में अपना वर्चस्व दिखाने के लिए अधिकारी आपस में भिड़ने लगे। वीआईपी को ठहराने के लिए लड़ाई होने लगी। दुधवा कर्मचारी और डीएम आपस में भीड़ गए। यह सब कुछ बेहद निराशाजनक घटना रही। दुधवा नेशनल पार्क इंसानों का नहीं बल्कि वन्यजीवों का है इस बात को अधिकारियों को याद रखनी चाहिए।