लखनऊ. चुनाव आते ही उत्तर प्रदेश में गठबंधन की बयार बहनी शुरू हो गई है। सोमवार को रालोद, जदयू और बीएस-4 ने पहला गठबंधन किया। बसपा सुप्रीमो मायावती का मानना है कि गठबंधन वे लोग करते हैं जो कमजोर होते हैं, जिन्हें खुद पर भरोसा नहीं है। उनका दावा है कि बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में किसी ‘महागठबंधन’ की जरूरत नहीं है। चुनाव जीतने के लिए बसपा अकेले ही काफी है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा अकेले ही पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी।
मायावती ने कहा कि बसपा शिगूफों पर नहीं बल्कि सिद्धांतों पर चुनाव लड़ती है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों दलों को पता है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा। इसलिए ये लोग शिगूफों पर उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि जनता ने इस बार तय कर लिया है कि उत्तर प्रदेश में बहनजी की ही सरकार बनवानी है। सपा और बसपा के बीच विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर आने के लिए जोर-आजमाइश चल रही है। उन्हें भी पता है कि उत्तर प्रदेश में बसपा नंबर एक पार्टी है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि अखिलेश और मुलायम दोनों को पता है कि अब उनका खेल खत्म हो चुका है। सूबे में भाजपा की भी दाल गलने वाली नहीं है। अखिलेश सरकार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। जनता कथित समाजवादियों की गुंडागर्दी से परेशान है। रही कसर पारिवारिक झगड़े ने पूरी कर दी है। सपा का यादव वोट दो खेमों में बंट गया है, शेष वोटर्स ने भी बसपा को वोट देने का मन बना लिया है।
इस दौरान उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश की जनता मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों से परेशान है। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे जिनमें से एक भी पूरा नहीं किया। इसका सबक जनता उन्हें विधानसभा चुनाव में सिखाएगी।
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