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लखनऊ

नोटबंदी को ‘कैश’ कराने में जुटे राजनीतिक दल, बाकी मुद्दे पीछे छूटे

सोशल मीडिया, अखबार और न्यूज चैनल में भी हर तरफ नोटबंदी का मुद्दा ही सर्वोपरि है…

लखनऊNov 26, 2016 / 01:31 pm

Hariom Dwivedi

UP Election 2017

UP Election 2017

लखनऊ. विधानसभा चुनाव से पहले सभी दल नोटबंदी के मुद्दे को कैश कराने में जुटे हैं। मौजूदा दौर में सूबे की सियासत 500 और हजार रुपए के नोटबंदी के आसपास ही सिमटती जा रही है, बाकी सभी बड़े मुद्दे पीछे छूट रहे हैं। भाजपा नोटबंदी को कालेधन और आतंकवाद पर हमला बताकर भुनाने के प्रयास में है तो बसपा, सपा और कांग्रेस नोटबंदी के फैसले से आम लोगों को हो रही तकलीफ और अर्थव्यवस्था को घाटे का मुद्दा बता रही हैं। 

8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद से देश की राजनीति में भूचाल सा आ गया। भाजपा को छोड़कर सभी दल नोटबंदी के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। नोटबंदी पर हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही भी ठप है। बसपा सुप्रीमो मायावती सहित समूचा विपक्ष प्रधानमंत्री को लोकसभा में बुलाकर बहस करने की मांग कर रहा है, वहीं भाजपा उत्तर प्रदेश में परिवर्तन यात्रा के जरिए नोटबंदी के फैसले को जनहित में लिया गया फैसला बताकर इसे कालेधन और आतंकवाद पर चोट बता रही है। सोशल मीडिया, अखबार और न्यूज चैनल में हर तरफ नोटबंदी का मुद्दा ही सर्वोपरि है। ऐसे में कई बड़े मुद्दे जो प्रदेश की जनता को खासे प्रभावित करते हैं, पीछे रह जा रहे हैं। 

असल मुद्दों से भटके राजनीतिक दल !
नोटबंदी के मुद्दे से पहले बसपा, कांग्रेस और भाजपा समाजवादी सरकार को कानून-व्यवस्था और विकास के मुद्दे पर घेरती नजर आ रही थीं। मायावती जहां लॉ एंड ऑर्डर और विकास के मुद्दे पर अखिलेश को सरकार को घसीटने से नहीं चूक रही थीं, अब हाल-फिलहाल में उनके बयान सिर्फ नोटबंदी के इर्द-गिर्द ही घूमते नजर आ रहे हैं। किसान यात्रा के जरिए कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी पार्टी सबकुछ भूलकर नोटबंदी पर ही फोकस कर रही है। भारत बंद से पहले ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

क्या कहते हैं जानकार
राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा, बसपा और कांग्रेस जैसे दल खुले तौर पर नोटबंदी को गलत ठहराने से बच रहे हैं। सभी केंद्र के फैसले को आधी-अधूरी तैयारियों के साथ लिया गया फैसला बताकर मोदी सरकार को घेरने में जुटे हैं। कारण कि जनता के बीच कहीं यह मैसेज न पहुंच जाए कि ये पार्टियां कालेधन के खिलाफ हैं।

वरिष्ठ पत्रकार हीरेश पांडेय के मुताबिक, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में कानून-व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसे कई बड़े मुद्दे हैं, जिन्हें पार्टियों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करना चाहिए और इन्हीं मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाना चाहिए। उन्होंने माना कि नोटबंदी से दिक्कत तो है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे बड़े मुद्दे पीछे छूट जाएं।

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