लखनऊ. उत्तर प्रदेश में सपा को सत्ता से बेदखल करने, बसपा-भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए यूपी में छोटे दल एकजुट होने लगे हैं, जिसका खुलासा आने वाले दिनों में होगा। बड़े और क्षेत्रीय दलों को मात देने के लिए इन छोटे दलों ने अपना एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। इसका शंखनाद 11 अप्रैल को नवरात्रि के शुभ मौके पर होगा। इसमें नीतीश की जदयू, चैधरी अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), बाबूलाल मरांडी के झारखंड विकास मोरचा (जेवीएम), डाॅ. अयूब की पीस पार्टी और यूपी में किसानों के लिए काम करने वाला किसान मंच का विलय कर नई पार्टी बनेगी। इस मौके पर सभी दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष संयुक्त प्रेस वार्ता कर नई पार्टी के नाम की घोषणा करेंगे।
दूसरे दलों का गणित बिगाड़ेंगे
यूपी में छोटे दलों का अपना गणित है। ये चुनाव भले ही न जीतें, लेकिन जिसे चाहें उसे हरा जरूर सकते हैं। इन दलों का अपना वोट बैंक है। ऐसे में बड़ी पार्टियों के साथ अगर इनका वोट बैंक जुड़ जाए तो इनका भी भला होगा और उनका भी। साथ ही चुनाव का परिणाम काफी हद तक प्रभावित होगा।
नई पार्टी का नाम होगा जेवीपी
किसान और गरीबों को उनका हक दिलाने के नाम पर सपा, बसपा और भाजपा को उनका विरोधी साबित करने के लिए यह सारा प्लान अजित सिंह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बनाया है। रालोद के सूत्रों की मानें तो 11 अप्रैल को दिल्ली में नीतीश कुमार, अजित सिंह और झारखंड के पूर्व सीएम बाबूरालाल मरांडी और अन्य दलों का विलय कर नई पार्टी का एलान होगा। सभी दलों को मिलाकर जन विकास पार्टी (जेवीपी) के नाम से नया दल बनाया जाएगा। इस बैठक में हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चैटाला, पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा, गुजरात के हार्दिक पटेल और आंध्र प्रदेश के जगन रेड्डी को भी बुलाया गया है। जन विकास पार्टी की पहली सभा 23 अप्रैल को मथुरा में होगी।
पूर्वी और पश्चिमी यूपी बनेगा जंग का मैदान
मोदी, मुलायम और मायावती के खिलाफ ‘जन विकास पार्टी’ बनाकर जेडीयू और आरएलडी अपने अन्य राजनीतिक साथियों संग चुनावी दंगल में ताल ठोकेंगे। पूर्वी और पश्चिमी यूपी इसके लिए चुनावी जंग का मैदान बनेंगे। अगले एक दो महीने में वाराणसी, बुलंदशहर और मेरठ में बड़ी सभा कर नई पार्टी अपनी ताकत का एहसास कराएगी।
वाराणसी और मथुरा में होगी रैली
मई के पहले सप्ताह में पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सभा होगी, उसके बाद मई के अंतिम सप्ताह में बुलंदशहर या मेरठ में रैली होगी। इसमें गठबंधन के सभी नेता हिस्सा लेंगे। दरअसल अजित सिंह नई राजनीतिक पहल शुरू करने से पहले बुलंदशहर को याद करना नहीं भूलते। रालोद नेताओं का दावा है कि लगभग सभी छोटे दलों में एक होने पर सहमति हो गई है।
विरोधी दलों का करेंगे दुष्प्रचार
पश्चिमी यूपी में अजित सिंह, पूर्वी यूपी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के कामों का प्रचार कर वोट हासिल करने की योजना है। नीतीश भी इस बात को बखूबी जानते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद को साथ लिए बिना कोई भी बडा़ गठबंधन सफल नहीं हो सकता। यूपी में नया गठबंधन भाजपा को झूठे वादे करने वाला, सपा के दौर में हर वर्ग का उत्पीड़न, बसपा शासन को लूटखसोट वाला बताने की कोशिश रहेगी।
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