सतलुज यमुना लिंक नहर पर यथास्थिति का आदेश
सर्वोच्च न्यायालय ने सतलुज-यमुना लिंक नहर पर गुरुवार को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया
चंडीगढ़। सर्वोच्च न्यायालय ने सतलुज-यमुना लिंक नहर पर गुरुवार को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया और केंद्रीय गृह सचिव व पंजाब के मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक को नहर का सरकारी प्रबंधकर्ता (रिसीवर) नियुक्त किया।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर.दवे के नेतृत्व वाली सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने हरियाणा की याचिका पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया। हरियाणा ने सतलुज यमुना लिंक नहर को क्षतिग्रस्त व समतल करने संबंधी प्रयासों से न्यायालय को अवगत कराया था। इससे पहले पंजाब सरकार द्वारा एसवाईएल के निर्माण खर्च के रूप में हरियाणा को भेजे गए करीब दो सौ करोड़ रुपए के चैक को हरियाणा सरकार की अस्वीकार करते हुए पंजाब सरकार को वापस लौटा दिया। साथ ही हरियाणा सरकार ने कृषि मंत्री के हवाले से एक तलख पत्र भी लिखा है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला ने एसवाईएल मुद्दे पर सरकार पर गंभीर न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि एसवाईएल नहर को पाटा जा रहा था लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके विरोध में कोर्ट में जाना चाहिए था लेकिन सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया। इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जवाब में सदन को बताया कि उन्होंने खुद पंजाब के मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल से बात की थी और जो चैक पंजाब सरकार ने हरियाणा को भेजा था उसे भी शपथ पत्र के साथ वापिस भेज दिया है।
उन्होंने बताया कि वह इस मामले को लेकर लगातार संपर्क में हैं और उन्होंने राज्यपाल को पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि मामले में पंजाब सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए कदम पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल द्वारा एसवाईएल नहर से संबंधित विधेयक पर अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं।
यह कहते हुए कि एसवाईएल नहर के मुद्दे पर पंजाब सरकार की असंवैधानिक कार्यवाही पर हरियाणा सरकार ने कड़ी नाराज़गी दिखाई है, मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने पंजाब सरकार द्वारा कल हरियाणा सरकार को भेजे गए चैक को उन्हें वापिस लौटा दिया है।
मनोहर लाल ने कहा हम एसवाईएल मुद्दे पर केन्द्र सरकार के साथ लगातार सम्पर्क में हैं। मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात की है। हमारे सभी सांसदों ने भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से भेंट की है। उन्होंने कहा कि चूंकि एसवाईएल नहर पर पंजाब सरकार की यह कार्यवाही असंवैधानिक है, इसलिए उन्होंने पंजाब के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी को विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया।
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