जिले में संचालित निजी स्कूलों की कमर शिक्षा का अधिकार अधिनियम ने तोड़कर
रख दी है। फीस के नाम पर मोटी रकम बटोरने के फिराक में खोले गए स्कूलों के
पट साल दर साल बंद हो रहे हैं।
जांजगीर-चांपा. जिले में संचालित निजी स्कूलों की कमर शिक्षा का अधिकार अधिनियम ने तोड़कर रख दी है। फीस के नाम पर मोटी रकम बटोरने के फिराक में खोले गए स्कूलों के पट साल दर साल बंद हो रहे हैं। हालात यहां तक पहुंच गया है कि कुछ सालों में गिनती के ही निजी स्कूल रह जाएंगे। हालांकि हर साल नए निजी स्कूल भी खुल रहे हैं, लेकिन निजी स्कूलों के बंद होने का सिलसिला भी लगातार जारी है।
एक समय था जब पूरे प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में जांजगीर-चांप जिले का नाम रोशन था। नतीजा चाहे नकल से हो या फिर कुछ और से, लेकिन वर्ष 2008 में उजागर हुए पोरा बाई कांड के कारण जिला दागदार हो गया है। पहले जहां जिले में दो सौ से अधिक निजी स्कूलों का नाम चलता था। वहीं अब निजी स्कूल गिनती के हो गए हैं। कारण आरटीई योजना का लागू होना व केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को सुविधाएं मुहैय्या कराना है। स्कूल संचालन के लिए नए-नए नियम बनाए जा रहे हैं, जिसका पालन करना संचालकों के बस की बात नहीं रह गई है।
2010 में जहां जिले में पहली से बारहवीं तक तकरीबन 200 स्कूल संचालित हो रहे थे। अब यह आंकड़ा केवल 120 पर टिक गया है। हालॉकि प्रायमरी एवं मिडिल मिलाकर जिले में 444 निजी स्कूल संचालित हैं, लेकिन अधिकांश निजी स्कूल ऐसे हैं, जो केवल नाम गिनाने के लिए संचालित हो रहे हैं। नए कानून का पालन संचालकों को कठिन लग रहा है। इसके चलते निजी स्कूल लगातार बंद हो जा रहे हैं। प्रतिस्पर्धा के इस दौरान में जिले के विभिन्न स्थानों पर संचालित सरस्वती शिशु मंदिर ने किसी तरह निजी स्कूल का के्रज बरकरार रखा है।