जयपुर । 75 साल की वृद्धा और जवान
अपाहिज बेटा… बूढ़े हाड़ों में दर्द रहता है सो, 80 साल का पति भी रोजाना मजदूरी
पर नहीं जा पाता। घर में आटे का पीपा भी खाली सा रहता है। गरीबी में आंसू बहाते
आंखों की रोशनी भी जाती रही। डेढ़ साल से घर में अंधेरा है, बिल नहीं भरने पर बिजली
कनेक्शन तक काट दिया गया। चार माह पहले तक वृद्धावस्था पेंशन से कुछ दिन के राशन का
जुगाड़ हो जाता था, लेकिन अब वह भी नहीं मिल रही। हम बता रहे हैं एक मजबूर मां की
कहानी… सरकारी अधिकारी पढ़ें और नींद से जागें… आम आदमी पढ़े तो उठाए ऎसे मजबूर
लोगों की मदद का बीड़ा…
राजधानी से महज 40 किलोमीटर दूर अचरोल में
निवासी रतनी देवी बताती हैं कि 15 साल पहले तक सब ठीक था। घर का मकान था… हाथ-पैर
चलते थे इसलिए खर्चा ठीक चल रहा था। जैसे-जैसे बुढ़ापा आता गया, हालात खराब होने
लगे। अब अपाहिज बेटे तिलक की दवा तो दूर रोटी के लाले पड़ गए हैं। दिखाई नहीं देने
के कारण वह घर का काम तक नहीं कर पातीं। बिजली का बिल नहीं भरने पर डेढ़ साल पहले
कनेक्शन भी काट दिया गया। यह बताते हुए रतनी की आंखों से आंसू बहने लगे।
रतनी के
पति खेदूराम बुनकर परिवार के मुखिया हैं। 80 साल की उम्र में भी परिवार का पेट
पालने के लिए रोजाना 50 किलोमीटर तक सफर तय कर शहर आते हैं। कभी मजदूरी मिलती है तो
कभी नहीं। खेदूराम ने बताया कि रोजाना सुबह 5 बजे उठकर पत्नी और बेटे के लिए खाना
बनाते हैं। रात को चिमनी के उजाले में दिखता नहीं, इसलिए दोनों वक्त का खाना सुबह
ही बना देते हैं। बुढ़ापे व बीमारी के कारण खेदूराम रोजाना शहर नहीं जा पाते।
इसी
बीच तिलक इशारों में कुछ समझाने हुए रोने लगा, लेकिन उसकी भाष्ा भी मां ही समझ पाती
है। रतनी ने इशारों को समझकर कहा कि तिलक उनकी कोई सहायता नहीं कर पाता, बस हर वक्त
उन्हें अपनी आंखों के सामने देखना चाहता है इसलिए जोर-जोर से चिल्लाता रहता है।
चार माह से पेंशन भी नहीं
परिवार को वृद्धावस्था व विकलांगता पेंशन भी चार
महीने से नहीं मिली। खेदूराम ने कहा कि पहले एक महीने में तीनों की कुल 1750 रूपए
की पेंशन आती थी, जिससे घर का खर्चा चल जाता था। अब डाकिया कहता है कि आगे से ही
पेंशन नहीं आई।
Hindi News / Jaipur / कौन पोछे इन बूढ़ी आंखों के आंसू