जयपुर. शहर में मेट्रो निर्माण के लिए तोड़े गए मन्दिरों का मामला शुक्रवार को विधानसभा में जोर-शोर से उठा। विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने सीएमओ, मुख्यमंत्री सचिव, तत्कालीन पुलिस कमिश्नर श्रीनिवास राव जंगा और अन्य अफसरों पर आरोप लगाया कि इन लोगों के निर्देशन में मन्दिरों पर एेसे आरी चलाई गई, जैसे औरंगजेब ने मन्दिरों को घेरा था। इस मामले में विपक्ष के सदस्यों ने भी सरकार को घेरा। इस दौरान नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह ने माना कि जिस धर्म और संस्कार से इन मन्दिरों को हटाना चाहिए था, उसमें थोड़ी-बहुत कमी रही है। इस मुद्दे पर लगभग 40 मिनट तक बहस हुई।
प्रश्नकाल में घनश्याम तिवाड़ी ने सवाल उठाते हुए कहा कि मेट्रो के नाम पर छोटी और बड़ी चौपड़ पर ऐसे मंदिरों को भी ध्वस्त कर दिया गया, जो आजादी के पहले से स्थापित थे। शिवङ्क्षलगों को आरी से काटा गया।
आस्था के चलते कामगारों ने आरी चलाने से हाथ खड़े कर दिए तो उनकी जगह दूसरे लोग बुलाकर कार्रवाई कराई गई। दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
बाधक धर्मस्थलों को हटाने की परम्परा
नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने कहा कि छोटी चौपड़ से हटाए गए छह में से रोजगारेश्वर और हनुमान मन्दिर ही आजादी से पूर्व के थे। वर्ष 2011 से अब तक हटाए गए 113 धार्मिक स्थलों में 104 मंदिर, 9 मजारें हैं। सरकार की ओर से पुनस्र्थापित किए गए मंदिरों में धार्मिक विधि में कमी हो सकती है लेकिन प्राण-प्रतिष्ठा विधिपूर्वक की गई। विधि विधान पांडित्य के साथ नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि मार्ग में बाधक बने मंदिरों को हटाने की परम्परा रही है। एेसे राजा को राज करने का कोई अधिकार नहीं है, जिसके राज में मार्ग में मन्दिर आते हो।
बदली है डिजायन
शेखावत ने कहा कि राज्य सरकार ने मंदिरों की सुरक्षा के लिए मेट्रो की डिजायन बदली भी है। हटाए गए मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा के तहत चार मंदिरों के लिए जमीन आरक्षित कर दी है। वर्ष 2011 से 2014 के बीच 33 मंदिर हटाए गए लेकिन पिछली सरकार के समय हटाए गए मन्दिर इस सरकार ने पुनस्र्थापित किए हैं। कांग्रेस सरकार में हटाए मंदिरों की पुनस्र्थापना के लिए ट्रस्ट या पुजारी से प्रस्ताव आएगा तो सरकार जरूर जमीन आवंटित करेगी।
कैबिनेट के फैसले पर हटे मन्दिर
शेखावत ने कहा, मेट्रो परियोजना राजनीतिक इच्छा पर निर्भर नहीं थी। मंदिर हटाने का निर्णय तत्कालीन कैबिनेट के फैसले पर हुआ। इस सरकार के समय हटे मन्दिरों में से चार की मूर्तियां पुजारी साथ ले गए। आठ मंदिर खातेदारी में शिफ्ट हो गए तथा दो का विवाद न्यायालय में विचाराधीन है। दो मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है, चार के लिए जगह आरक्षित की गई है। मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा के सवाल पर कहा कि ट्रस्ट या पुजारी से प्रस्ताव आया तो सरकार नियमानुसार प्राण प्रतिष्ठा कराएगी। संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री के सचिव पर बिना तथ्य आरोप लगाए हैं।
चंदे के नाम पर जमकर शोर-शराबा
कांग्रेसी विधायक घनश्याम मेहर ने कहा कि जो सरकार भगवान और राम मन्दिर के नाम पर आई, वही अब मन्दिर हटा रही है। राम मंदिर के नाम पर करोड़ों रुपए चंदा जुटाने, इसके बावजूद मंदिर नहीं बनने के कटाक्ष पर पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर शोर-शराबा हुआ। भाजपा विधायक हीरालाल और घनश्याम मेहर के बीच जमकर तकरार हुई।
क्या गजनवी, गौरी बनना चाहती है सरकार?
घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि मंत्री राजपाल सिंह ने जवाब में उस मीटिंग का तो हवाला दे दिया, जिसमें प्रायश्चित किया
गया लेकिन उस मीटिंग का भी जिक्र होना चाहिए, जो मन्दिर तोडऩे के लिए की गई थी। क्या सरकार गजनवी और गौरी बनना चाहती है? पुलिस ने जिन 25 मन्दिरों की सूची दी, उसमें तोड़े गए 13 मन्दिरों का नाम ही नहीं था।
बाधा नहीं, विरासत पर प्रहार
मंत्री शेखावत ने अपने जवाब में संबंधित मंदिरों को यातायात में बाधक बताने का प्रयास किया जबकि ये मन्दिर शहर की प्राचीन विरासत से जुड़े ध्वस्त किए गए रोजगारेश्वर, कंवल साहब हनुमान मंदिर और कष्टहरण महादेव मंदिर शहर में सामरिक दृष्टि से प्राचीन समय में बनाई गई सुरंगों के ऊपर स्थित थे। इनके जरिए सुरंग में हवा का इंतजाम होता था। देवस्थान विभाग में ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन के दौरान भी मेट्रो रूट के सभी मंदिरों को प्राचीन माना गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद नगर निगम ने सर्वे कराया तब भी परकोटे के सभी मंदिरों को प्राचीन माना गया।
ऐसी परंपरा कहां
मंदिरों को तो आतताइयों ने ही ध्वस्त किया था, सरकार अब ऐसा कर रही है। तत्कालीन राजाओं ने सड़क के बीच ये मंदिर मार्ग में बाधा के लिए तो नहीं बनाए थे! शेखावत को बताना चाहिए कि मार्ग में बाधा बने मंदिरों को हटाने की परंपरा कहां पर रही है। भारत शर्मा, संरक्षक, धरोहर बचाओ समिति
दोषियों को सजा नहीं
सरकार ने जनता को अंधेरे में रखकर षड्यंत्र पूर्वक प्राचीन मंदिरांे को तोड़ा। जन विरोध के चलते रोजगारेश्वर स्थल पर सरकार ने मूर्तियों की प्रतिष्ठा तो कराई लेकिन दोषियों को अब तक सजा नहीं हुई है। न ही सरकार ने माफी मांगी है।
प्रतापसिंह खाचरियावास, प्रवक्ता, प्रदेश कांग्रेस
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