जबलपुर। गुरुपूर्णिंमा के उत्साह को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दोगुना कर दिया है। नासा ने गुरु पूर्णिमा पर अपने ट्विटर हैंडल से चांद की तस्वीर जारी की है। गुरुपूर्णिमा पर पहली बार जारी की गई इन तस्वीरों पर व्यापक प्रतिक्रियाएं सामने आ रहीं हैं। नासा के इस काम से हर कोई प्रसन्नता जता रहा है।
गुरुपूर्णिमा को मिली मान्यता
आचार्य सोमेश परसाई बताते हैं कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन ही महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। इसी कारण इस पूूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। अब नासा ने भी हमारी गुरुपूर्णिमा की अहमियत बढ़ा दी है। विश्व हिंदू परिषद के महाकौशल प्रांत के वरिष्ठ नेता अजितेंद्र नारोलिया कहते हैं नासा द्वारा जारी पूर्णिमा का यह चांद वाकई काफी सुंदर लग रहा है। गुरुपूर्णिमा पर नासा की यह तस्वीर हमारी सालों पुरानी मान्यतों को पुनस्र्थापित कर रही है। नासा के इस काम से देशभर में नई पीढ़ी में गुरु के प्रति लगाव बढ़ेगा, आस्था और विश्वास बढ़ेगा। नरसिंहपुर जिला भाजपाध्यक्ष कैलाश सोनी ने भी नासा के इस काम को बेहद सराहनीय बताया है। उन्होंने कहा है कि हम सभी के लिए सम्मान की बात है कि नासा जैसी वैज्ञानिक संस्था ने भी हमारी परंपराओं और मान्यताओं पर मुहर लगा दी है।
क्या किया है नासा ने
नासा ने शनिवार को अपने ट्विटर हैंडल से गुरुपूर्णिमा के चांद की तस्वीर जारी की है। नासा ने यह भी बताया है कि गुरुपूर्णिमा के दिन वाले चांद को दुनिया में किन और नामों से जाना जाता है। नासा की पोस्ट के मुताबिक गुरुपूर्णिमा के चांद को मून, मीड मून, राइप कॉर्न मून, बक मून और थंडर मून भी कहते हैं।
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