scriptये है मोहनजो दारो की असली कहानी, आप भी पढि़ए | mohenjo daro real story in hindi | Patrika News
जबलपुर

ये है मोहनजो दारो की असली कहानी, आप भी पढि़ए

ऋतिक रोशन की फिल्म 12 अगस्त को रिलीज हो रही है, इस फिल्म में जिस सभ्यता के बारे में बताया गया है आईए हम उस पर नजर डालते हैं..

जबलपुरAug 12, 2016 / 06:11 pm

neeraj mishra

Mohenjo Daro

Mohenjo Daro


जबलपुर। ऋतिक रोशन की फिल्म मोहनजो दाड़ो रिलीज हो गई, इसकी शूटिंग जबलपुर में हुई थी। फिल्म का एक हिस्सा संगमरमरी वादियों के बीच से गुजरती नर्मदा नदी में शूट किया गया।

दरअसल, फिल्म में नर्मदा को सिंधु नदी के रूप में दर्शाया गया है। ऋतिक रोशन मगरमच्छ से लड़ाई करते नजर आएंगे। mp.patrika.com आपको बताने जा रहा है कि इस फिल्म की कहानी किस सभ्यता पर बनी।


मुर्दों का टीला है मोहन जोदड़ो

मोहन जोदाड़ो का अर्थ मुर्दो का टीला है। इतिहासकारों मानें तो 2600 ईसा पूर्व एक नगरीय सभ्यता थी। जिसके अवशेष पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के किनारे मिले थे। मोहन जोदाड़ो के टीलों की खोज 1922 में राखलदास बैनर्जी ने की थी। खोज में यहां विशाल अन्नागार, बड़े भवन, पुरोहित आवास मिले थे। इतिहहासकार बताते हैं कि यहां मिले स्तूपों का निर्माण कुषाण शासकों ने करवाया था। 

(भेड़ाघाट में शूटिंग का एक दृश्य)
नाच का था शौक

मोहनजोदाड़ो से प्राप्त अवशेषों में कुम्भकारों के भट्टों के अवशेष, सूती कपड़ा, हाथी का कपाल खंड, गले हुए तांबे के ढेर, सीपी की बनी हुई पटरी, नाच करते हुए नारी की कांसे की मूर्ति अवशेष के रूप मे मिले थे। इससे इतिहासकार यह अंदाजा लगाते हैं उस दौरान में भी नृत्य का चलन था। 


नगर की बनावट के आधार पर कहा जाता है कि सिंधु नदी के किनारे बसा यह नगर संपन्न एवं समृद्ध था। यहां किए गए निर्माण उच्च कोटि के थे, जिससे तत्कालीन वस्तुकला का अंदाजा लगाया जा सकता है।


ये भी मिला सभ्यता में 

– नगर क्षेत्र के अन्दर मकानों तथा आम रास्ते पर 42 कंकाल अस्त-व्यस्त दशा में पड़े हुए मिले थे।
– करीब 1398 मुहरें मिली थीं।
– पत्थर की मूर्तियां मिलीं थीं जिनमें शैलखड़ी से बना पुरोहित का धड़ महत्वपूर्ण है।
– चूना पत्थर का बना एक पुरुष का सिर मिला था।

Hindi News / Jabalpur / ये है मोहनजो दारो की असली कहानी, आप भी पढि़ए

ट्रेंडिंग वीडियो