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जबलपुर

यहां मिला दुर्लभ मणिधारी नाग, सवा लाख लोगों की मौत के बाद होता है इसका जन्म

मदनमहल देवताल की पहाड़ी पर मिला दुर्लभ पद्म नाग, इसमें पायी जाती है चावल के आकार की मणि 

जबलपुरJul 27, 2017 / 09:26 pm

Premshankar Tiwari

manidhari nag

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जबलपुर। मदनमहल पहाड़ी पर गुरुवार को एक दुर्लभ नाग देखा गया। यह नाग पद्म प्रजाति का है। माना जाता है कि एक निश्चित उम्र के बाद इसमें मणि प्रकट हो जाती है। एक युवक ने इस नाग को पकड़ा और फिर उसे पहाड़ी पर ही सुरक्षित जगह पर छोड़ दिया। सर्प विशेषज्ञ गजेन्द्र दुबे ने बताया कि पद्म नाग दुर्लभ है। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि लाखों मनुष्यों की मौत के बाद इस तरह के नाग या नागिन का जन्म होता है। उल्लेखनीय है कुछ समय पूर्व जबलपुर में ही अमखेरा के कुदवारी गांव में दुर्लभ पद्म नागिन भी मिली थी, जिसे पकडऩे के बाद जंगल में छोड़ा गया। माना जाता है कि पद्म प्रजाति के नाग बेहद जहरीले भी होते हैं। इनके काटे हुए व्यक्ति का बचना मुश्किल होता है। 


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मंदिर के समीप मिला दुर्लभ नाग
प्राप्त जानकारी के अनुसार मदनमहल पहाड़ी पर महाकाली मंदिर के दोपहर में एक दुर्लभ नाग बैठा दिखा। कुछ युवकों ने उसे घेर लिया। सूचना पर सर्प विशेषज्ञ गजेन्द्र दुबे पहुंचे। उन्होंने नाग को पकड़कर सुरक्षित जगह पर छोड़ दिया। दुबे ने बताया कि पद्म नाग बेहद जहरीला होता है। युवक उसे इसलिए घेरे हुए थे कि कहीं कोई व्यक्ति उसे मार नहीं दे। दुबे ने बताया कि नाग अभी कम उम्र का है। इस प्रजाति के नाग में दुर्लभ मणि पायी जाती है, जो चावल के दाने के आकार की होती है। नर्मदा के किनारे पहले भी इस तरह के नाग देखे गए हैं, लेकिन यह प्रजाति दुर्लभ है। ऐसा माना जाता है कि यह मानव और उसके आवासीय क्षेत्रों से दूरी बनाकर रहती है। 

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अमखेरा में मिली थी नागिन
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले गोहलपुर के समीप अमखेरा में पद्म प्रजाति की नागिन मिली थी। इसे पकड़कर जंगल में छोड़ा गया था। शास्त्रों में उल्लेख है कि महर्षि नाग जाति की उत्पत्ति महर्षि कश्यप की पत्नी कदु्र से हुई है। कदु्र से उत्पन्न नाग पुत्रों से ही बाद में आठ प्रमुख नाग कुल चले। इनमें – 
– शेषनाग
– वासुकी
– तक्षक
– कर्कोंटक
– महापद्म
– शंख
– कुलिकया
– पद्म नाग आदि प्रमुख हैं। 
ये भी है पद्म नागों का रहस्य
शास्त्रों में उल्लेख है कि पद्म नागों का गोमती नदी के पास के नेमिश नामक क्षेत्र पर शासन था। बाद में ये मणिपुर में बस गए थे। असम के नागावंशी इन्हीं के वंश से है। ये नागों की सबसे शक्तिशाली जातियों में से एक मानी जाती है। पद्म नागिन के जीवन और मृत्यु का रहस्य सवा लाख मनुष्य के मौत पर छिपी हुई है।

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