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जबलपुर

 इन चार स्थानों पर सम्मोहित कर लेती हैं नर्मदा, जानिए अजूबा रहस्य

रोमांच के साथ आध्यात्मि अनुभूति भी कराती हैं नर्मदा की चार धाराएं, कपिल धारा, धुआंधार, दुग्धधारा और सहस्त्र धारा है इनका नाम, आकर्षण में बंधे रह जाते हैं पर्यटक

जबलपुरDec 26, 2016 / 01:30 pm

Premshankar Tiwari

Narmada Nadi

Narmada Nadi

बालमीक पाण्डेय @ जबलपुर। विश्व की सबसे प्राचीन नदी होने का गौरव प्राप्त नर्मदा कई मायनों में अनूठी और आलौकिक हैं। नर्मदा के आंचल में हर पग अद्भुत व आल्हादित कर देने वाला सौंदर्य बिखरा पड़ा है। इसकी चार धाराएं तो लोगों को अपने सम्मोहन में बांध लेती हैं। लोग इसे बस एक टक देखते ही रह जाते हैं। इन चार धाराओं को देखने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी भारी संख्या में सैलानी हर साल पहुंचते हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि मध्य प्रदेश सरकार नर्मदा में समाए दर्शन को देखने और उसके संरक्षण के लिए अनूठी “नमामि देवि नर्मदे” नर्मदा सेवा यात्रा निकाल रही है। आइए आपको बताते हैं कौन सी और कहां ये ये धाराएं जिनके सम्मोहन का जादू आदमी को ताउम्र याद रहता है।


Narmada Nadi

कपिल धारा का नजारा

अमरकंटक उद्गम से करीब आठ किमी दूर पर कपिल धारा में नर्मदा उछलते हुए करीब 35 फीट की गहराई में कूदती दिखाई देती हैं। कानों में सुखद रस घोल देने वाली आवाज के साथ नीचे गिरती इस धारा को कपिलधारा का नाम दिया गया। यह कपिल मुनि की तपोस्थली है। यहां नर्मदा एक झरने के रूप में गिरते हुए चट्टानों से टकराती है। दूध की तरह सफेद जल यहां सूर्य या चंद्रमा की रश्मियों के साथ मिलकर नयनाभिराम दृश्य निर्मित करता है। लोग घंटों इसे देखते ही रह जाते हैं। 


Narmada Nadi

दुग्ध धारा का सम्मोहन

मैकल की सहायक पहाडिय़ों के बीच घने जंगल के सन्नाटे से गुजरती नर्मदा का कल-कल निनाद ध्वनि तरंगों में परिवर्तित हो जाता है। इन्हीं तरंगों को अपने में समेटे हुए नर्मदा, कपिलधारा फॉल के कुछ नीचे की ओर पहाड़ी से करीब 15 फीट नीचे की ओर तेजी से गिरती है। यहां पानी मात्र पानी नहीं बल्कि दूध के झाग की मानिंद नजर आता है। इसलिए इस स्थान को दुग्धधारा या दूध धारा फॉल का नाम दिया गया। यहां पहुंचने वाला हर पर्यटक अपने आपको रोमांचित व आल्हादित महसूस करता है।


Narmada Nadi

सहस्त्र धारा का आकर्षण 

अमरकंटक से एक छोटी सी धारा के रूप में उत्सर्जित नर्मदा, मण्डला पहुंचने तक एक वृहद नदी के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं। मण्डला तक की अपनी 180 किमी की यात्रा के दौरान छ: छोटी सहायक नदियां भी नर्मदा में मिल जाती हैं। यहां पर नर्मदा का पानी नदी तल पर उभरीं बेसाल्ट की असंख्य चट्टानों को चीरकर बहता है, जिससे ऐसी तस्वीर बनती है जैसे नदी हजार धाराओं में बह रही हो। सहस्त्रधारा से जुड़ी कई कहानियां हैं। पौराणिक कथा बताती है कि किस तरह से हजार भुजाओं वाले एक देवता, सहस्त्रबाहु के द्वारा नदी को रोकने के प्रयास असफल हुए थे। नर्मदा सहस्त्रबाहु की अंगुलियों के बीच में से फिसल कर अपने यात्रा पथ पर लगातार बहती रहीं। ओजस्वी नर्मदा के भव्य बहाव की सुन्दरता का आनंद मण्डला सहस्त्रधारा पर लेना ही चाहिए नर्मदा यहां पर अपने अत्यंत सुंदर रूप में बहती हैं।


Narmada Nadi

धुआंधार की अनुपम छटा

जबलपुर का नाम सुनते ही जेहन में संगमरमर की सुंदर, रंगीली और धवल वादियों के मनोरम स्थल भेड़ाघाट की तस्वीर आ जाती है। शहर से करीब 23 किलोमीटर दूर भेड़ाघाट में बंदरकूदनी और पंचवटी जहां नर्मदा के ऐश्वर्य और वैभवशाली सौंदर्य के दर्शन कराती है, वहीं शिव मंदिर के चारों तरफ साधनारत चौसठ योगिनियों के मंदिर से इसकी छटा लोगों को मोहपाश में बांध लेती है। हर नजर धुआंधार पर जाकर ठहर जाती है। यहां करीब पचास फीट ऊंची संग शिलाओं से गिरता जल धुएं की मानिंद उड़ता हुआ दिखाई देता है। इसे ही धुआंधार कहते हैं, जिसका आकर्षण सैलानियों को सात समुंदर पार से भी यहां खींच लाता है। चांदनी रात में तो यहां के सौंदर्य का नजारा ही कुछ अलग होता है। लोग पूर्णिमा पर धुआंधार के करीब बैठने के साथ पंचवटी में नौका विहार करके संगमरमरी वैभव का दीदार भी करते हैं। 

और भी कई रहस्य

पतितपावनी और शिवसुता नर्मदा अपने आप में और भी कई अनूठे रहस्य समेटे हुए है। इंद्र को भी धरती पर आने के लिए विवश करने वाली इंद्र गया, लम्हेटाघाट हो, जिलहरियों के आकार का जिलहरी घाट हो, मां गौरी की तपोस्थली ग्वारीघाट हो, ब्रम्हाजी की तपोस्थली बरमानघाट हो या फिर होशंगाबाद का सेठानी घाट हर जगह एक अलग ही आकर्षण है। 

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ये भी है अहम

उद्धगम स्थल से भरूच तक 1312 किमी की लंबी यात्रा के दौरान नर्मदा करीब 900 मीटर नीचे उतरती हैं। इस दौरान वे सतपुड़ा और विंध्य पर्वत श्रेणियों के बीच बने कई मनोहर भू-दृश्यों, निर्झर तथा सकरी घाटियों में से होकर गुजरती हैं। नर्मदा मार्ग पर चित्रात्मक और मोहक भू-दृश्यों में सुंदर हरे-भरे वन, मनोहर घाटियां, आकर्षक फूलों के तथा फलों से लदे पेड़ तो हैं ही, ऐसे कई भव्य स्थल हैं जहां से नदी का प्रवाह कई फीट नीचे गिरते हुए विस्मयकारी दृश्य प्रस्तुत करता है जो दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर देता है।

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