जबलपुर। वह साथ जीएंगे, साथ मरेंगे की कसमें जरूर खा रही थी लेकिन उसके मन में कुछ और ही था। प्रेमिका की नजर प्रेमी की दौलत पर थी और इसके लिए मौका देखकर उसने प्रेमी को जिंदा जला डाला। प्रेमिका के इस पाप में उसकी मां भी भागीदार बनी। मृतक प्रेमी के पिता ने अब यह शिकायत करते हुए हाईकोर्ट में गुहार लगाई है।
हत्यारिन हैं मां-बेटी
सागर जिला निवासी गोविंद बख्शी ने मप्र हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। बख्शी ने कहा- ‘माय लॉर्ड, मेरे पुत्र को उसकी प्रेमिका व प्रेमिका की मां ने पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। मरने के पूर्व वह कई दिन तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूलता रहा, लेकिन कोई भी पुलिस अधिकारी जानबूझकर उसके मृत्युपूर्व बयान लेने नहीं आया। हत्यारी मां-बेटी को सजा दिलाइए।Ó
याचिकाकर्ता के मुताबिक उसके पुत्र अमन की प्रेमिका व प्रेमिका की मां ने एक साजिश के तहत अमन पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। हमीदिया अस्पताल भोपाल में 30 मई 2015 को उसकी मौत हो गई। आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार जब अमन सागर अस्पताल में था तो बोलने की स्थिति में नहीं था।
जबकि याची ने उस समय के फोटोग्राफ्स पेश कर पुलिस अधिकारियों को बताया कि अमन उस समय पूरी तरह से बोल सकता था। लेकिन अधिकारियों ने उसकी बात नहीं मानी। इस बीच जांच अधिकारी ने अदालत में पेश करने के लिए आरोपितों को बचाते हुए रिपोर्ट तैयार कर ली। सीएसपी सागर ने पाया कि चश्मदीद गवाहों के बयान ही नहीं लिए गए। उन्होंने इस रिपेार्ट को फिर से तैयार करने के निर्देश दिए थे। याचिकाकर्ता के मुताबिक जांच अधिकारी ने एेसा आरोपितों को बचाने के लिए किया था।
फर्जी मृत्युपूर्व बयान बनाया
याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि जांच अधिकारी ने अस्पताल आए बिना फर्जी मृत्युपूर्व बयान बना लिया था। टिप्पणी की गई थी कि हाथ का अंगूठा जलने की वजह से मृतक के अंगूठे का निशान लगाया गया, जबकि मृतक का अंगूठा सही-सलामत था। इसके समर्थन में मृतक का चित्र पेश किया गया है।
अधिकारी को सजा, पर जांच नहीं
याचिकाकर्ता के मुताबिक उसे आरटीआई में बताया गया मृत्युपूर्व बयान न लेने की वजह से सहायक उपनिरीक्षक जब्बार खान पर तीन हजार रुपए अर्थदंड लगाया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि इससे फर्जी मृत्युपूर्व बयान बनाना साबित होता है।
हड़पना चाहती थी फ्लैट
याची की ओर से अधिवक्ता प्रशांत अवस्थी, आशीष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी, पंंकज तिवारी, आनंद शुक्ला ने कोर्ट को बताया कि आरोपित मां-बेटी फ्लैट हड़पना चाहती थीं। यह फ्लैट अमन ने 10 लाख रुपए में खरीदा था। पहले आरोपित बेटी ने मां के खिलाफ यह शिकायत की थी। बाद में दोनों मिल गईं। याचिका मेंं आग्रह किया गया कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। सुनवाई के बाद जस्टिस वंदना कसरेकर की बेंच ने सरकार से चार हफ्ते में मामले पर जवाब मांगा है।
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