जबलपुर। देश को आजादी मिलती, इसके पहले ही यह इंजीनियरिंग कालेज खुल चुका था। आज जहां देखो वहां इंजीनियरिंग कालेज नजर आते हैं पर तब देश के करीब एक-चौथाई भू-भाग पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए यह इकलौता कालेज था। कई राज्यों के मेधावी स्टूडेंट्स यहां प्रवेश पाने और पढ़ाई के लिए तरसते रहते थे। जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज-जेईसी के पुराने विद्यार्थियों ने कालेज के गर्व भरे इतिहास की ऐसी यादें साझा कीं।
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मिलन समारोह में मुखर हुए इंजीनियर
जेईसी के 70वां स्थापना दिवस समारोह के अंतर्गत पूर्व छात्र मिलन समारोह मनाया गया। इस अवसर पर कालेज के पुराने छात्र यहां आए और कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक शामिल हुए। पुराने विद्यार्थियों और नामी इंजीनियरों ने अपने अनुभवों को तो साझा किया ही कॉलेज को बेहतर बनाने के लिए भी कई अहम सुझाव दिए। समारोह में कालेज के फस्र्ट बैच के प्रिंसिपल एसपी चक्रवती की मूर्ति का अनावरण भी किया गया। विशेष बात यह है कि मूर्ति अनावरण का काम 1947 के बैच के स्टूडेंट्स ने हीं संपन्न किया।
बेहद प्रतिष्ठित है कालेज
वक्ता इंजीनियरों ने अपने कालेज की प्रतिष्ठा का खासतौर पर जिक्र किया। जेईसी के समारोह में शामिल हुए 1947 के स्टूडेंट एसके गुप्ता ने बताया कि आजादी के महज एक माह पहले ही इस कॉलेज की स्थापना हुई थी। उस समय तक मध्य प्रदेश से लेकर मुंबई तक के विशाल भू-भाग में यह एकमात्र इंजीनियरिंग कॉलेज था। तब मध्य क्षेत्र, सीपी, बरार, नागपुर सहित आसपास के सभी राज्यों के मेधावी विद्यार्थियों की यही तमन्ना रहती थी कि वे इस इंजीनियरिंग में पढ़ सकें।