scripthighcourt का अहम फैसला: चुनाव खर्च पर अब देना होगा पाई-पाई का हिसाब | Election expenses should be paid by bank account | Patrika News
जबलपुर

highcourt का अहम फैसला: चुनाव खर्च पर अब देना होगा पाई-पाई का हिसाब

बैंक एकाउंट के जरिए ही करना होगा आय-व्यय का प्रबंधन, जैतवारा नप अध्यक्ष को निर्याेग्य घोषित करने का निर्णय सही ठहराया

जबलपुरJul 28, 2017 / 10:40 am

deepak deewan

high court

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जबलपुर। छोटे-मोटे चुनावों में भी करोड़ों रुपए खर्च करने की प्रवृत्ति पर अब लगाम लग सकती है। इस संबंध में मप्र हाईकोर्ट ने अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित किए जाने के लिए यह आवश्यक है कि हर उम्मीदवार को अपने आय-व्यय का समुचित हिसाब रखना और चुनाव आयोग के समक्ष पेश करे। हर उम्मीदवार को इसके लिए बैंक खाता खोलना और उसके जरिए ही लेन-देन करना होगा। 


कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका 
जस्टिस शील नागू की सिंगल बेंच ने ये निर्देश जारी किए हैं। इस मत के साथ ही कोर्ट ने सतना जिले की जैतवारा नगर परिषद के अध्यक्ष अजय डोहर को पांच साल के लिए निर्योग्य घोषित करने के राज्य चुनाव आयोग के निर्णय को सही करार दिया है। डोहर को चुनाव खर्च का समुचित ब्योरा न देने के चलते दिसंबर 2016 में राज्य चुनाव आयोग ने पांच साल के लिए चुनाव लडऩे के अयोग्य घोषित कर दिया था। ठीक उपचुनाव से पहले इस आदेश को डोहर ने याचिका के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें कहा गया था कि उन पर जिस कैश राशि के हिसाब-किताब न देने का आरोप लगाया गया, वह अनुचित है। आयोग के चुनाव खर्च का ब्योरा मांगने के तौर तरीकों पर भी इसमें आपत्ति जताई गई थी। आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने कहा कि आयोग ने याचिकाकर्ता को पर्यापत अवसर दिया। याचिकाकर्ता ने जानबूझ कर आयोग के निर्देशों की उपेक्षा की। लिहाजा जनहित में उन्हें नियमों के तहत निर्योग्य घोषित किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।


यह कहा कोर्ट ने
कोर्ट ने अपने 12 पेज के फैसले में कहा कि चुनावों में उम्मीदवारों द्वारा खर्च का ब्योरा देने में आनाकानी के मामले सामने आ रहे हैं। नगरीय निकाय एक्ट 1961 की धारा 32-ए व 32-सी के अनुसार चुनाव आयोग को अपेक्षित परिपत्र मेें चुनाव खर्च का ब्योरा पेश करना अनिवार्य है। एेसा न करने पर निर्योग्य घोषित किया जाना उचित है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ता को अपना हिसाब-किताब पेश करने के लिए पर्याप्त अवसर दिए। इसके बाद भी उन्होंने एेसा नहीं किया। लिहाजा आयोग का आदेश उचित और वैधानिक है।
इस तरीके से बताना होगा हिसाब
1. बैंक एकाउंट के जरिए पैसा जमा व खर्च करना
2. कैश लेनदेन में आय-व्यय के अलग-अलग रजिस्टर बना कर इनमें नियमित प्रविष्टियां करना
3. बैक रजिस्टर रखना और मेन्टेन करना

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