जबलपुर। सांई बाबा को भगवान की तरह पूजा जाना अशुभ है। ऐसे में प्रकृति श्राप देती है जहां-जहां भी ऐसा हुआ है वहां सूखा पड़ा है। ये कहना है द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का। सांईबाबा पर दिए गए अपने बयान के बाद ये एक बार फिर विवादों में आ गए हैं।
इनका कहना है कि जिन स्थानों पर सांई की पूजा की गई है वहां बाढ़ आई है, मौत या भया का वातावरण निर्मित हुआ है। महाराष्ट्र में यह सब हो रहा है। इससे पहले शंकराचार्य ने साल 2014 में कहा था, सांई भगवान नहीं हैं। उनकी पूजा नहीं होना चाहिए। उन्होंने भक्तों से यह भी कहा था कि मंदिरों में सांई की मूर्तियों और तस्वीरों को भी हटा लिया जाना चाहिए। मप्र में पिछले 4-5 वर्षों से लगातार रबी-खरीफ सीजन में प्राकृतिक आपदाएं और ओलावृष्टि से हो रहे नुकसान की वजह सांई पूजा है। सांई पूजा बंद होना चाहिए।
मामले को लेकर उन दिनों खासा विवाद उपजा था जिस पर सांई भक्तों ने विरोध भी जताया था। इस संबंध में केंद्रिय मंत्री उमाभारती का भी बयान आया था। जिस पर भी स्वामी स्वरूपानंद ने अपने विचार दिए थे।
विदित हो कि मप्र के गोटेगांव में शंकराचार्य का परमहंसी आश्रम है। जहां बड़ी संख्या में शंकराचार्य के भक्त उनसे मिलने और आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।
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