लाली कोष्टा @ जबलपुर। प्रदेश के बैतूल जिले में सतपुड़ा की सुरम्मय वादियों के मध्य बने मंदिर बालाजीपुरम को भारत के पांचवें धाम के रुप में देखा जाने लगा है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो लोग दक्षिण भारत में स्थित बालाजी के दर्शनों को नहीं जा पाते थे, वे अब यहां आकर अपनी इच्छा पूरी कर लेते हैं।
प्रकृति के बीचों-बीच बने इस मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। कई सालों में तैयार इस मंदिर ने जहां बैतूल शहर को एक नई पहचान दिलाई है वहीं प्रदेश स्तर पर भी इसकी ख्याति दिनोंदिन फैलती जा रही है। खास पर्व त्योहारों के मौकों पर यहां भारी भीड़ होती है। इसके साथ ही ये पर्यटन स्थल के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुका है। इस मंदिर की स्थापना एक ऐसे व्यक्ति को है जो पेश से वैज्ञानिक हैं और हवाई जहाज उड़ाने का शौक रखते हैं।
दर्शन किए और बनवा दिया मंदिर
बैतूल निवासी सेमजी वर्मा इंजीनियर बनने के बाद 60 के दशक में अमेरिका चले गए, लेकिन वे अपनी मिट्टी को नहीं भूल पाए। अंतत: वे वतन वापस आ गए। सेमजी के अनुसार मूलत: बिहार का रहने वाला है, कई दशकों पहले वे बैतूल आकर बस गए थे। उनका परिवार शिवभक्त है।
1966 में जब वे परिवार के साथ बालाजी के दर्शन करने गए थे, तब यह ख्याल मन में आया कि क्यों न ऐसा ही मंदिर बैतूल में बनवाया जाए। इसके लिए उन्होंने तमिल इंजीनियरों व विशेषज्ञों से चर्चा कर मंदिर का एक फॉम मॉडल तैयार करवाया। जिसके बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। कई सालों बाद मंदिर बनकर तैयार हुआ तो लोग स्वयं खींचे चले आए। मंदिर में पूजा पाठ कराने के लिए पुजारी भी दक्षिण भारत से ही लाकर नियुक्त किए गए हैं।
एक परिसर में बालाजी सहित 40 से अधिक देवी-देवता
स्वर्णिम आभा बिखेरता बालाजीपुरम का मुख्य मंदिर 111 फीट ऊंचा है और साढ़े 10 एकड़ जमीन में फैला हुआ है। मंदिर में मुख्य रुप से रुक्मणी महादेव मंदिर के अलावा राम चरित मानस से जुड़ी प्रतिमाएं, वैष्णो देवी की गुफा, विशाल शिवलिंग, कृत्रिम नदी सहित 40 से अधिक देवताओं की स्थापना की गई हैं। इस मंदिर का कोई तय डिजाइन नहीं बना न ही कोई मानचित्र है। बस कई सालों तक यह मंदिर बनता रहा। इस बीच मंदिर के कई शिल्पी भी बदले गए। पर अंत में यह एक अनुपम दर्शनीय स्थल बन गया।
तपस्वी पहुंचे तप करने
बताया जाता है कि कई ऋषियों को यह स्थल इतना भाया का कि उन्होंने यहीं रहकर कई दिनों तक तपस्या भी की। कृष्ण भक्त यशवंत कुल्हाड़े, इंद्रा कुल्हाड़े ने बताया कि उन्होंने बालाजी के दर्शन कभी नहीं किए, लेकिन यहां आकर उनकी यह तमन्ना पूरी हो गई। इसी तरह कई पिकनिक ग्रुप और देशी विदेशी पर्यटक पूरे साल यहां आते रहते हैं।
पर्यटन स्थल बन गया
आज बालाजीपुरम् आस्था के केंद्र के साथ प्रदेश के मुख्य पर्यटन स्थलों में शामिल हो चुका है। यहां बच्चों के मनोरंजन के लिए नि:शुल्क पार्क बनाए गए हैं। झूले, बालाजीपुरम रेलवे, कोलंबस, मेरिगो राउंड, हवाई जहाज लोगों केआकर्षण का केंद्र है।
बालाजीपुरम् में ठहरने के लिए उत्तम व्यवस्था मौजूद है। मंदिर परिसर में ही दक्षिण भारतीय शैली पर डिजाइन की गई धर्मशाला भी है। समय समय पर बालाजीपुरम में धर्मगुरूओं और धार्मिक गायकों का आना जाना लगा रहता है। धीरे-धीरे यह स्थल देश विदेश में लोकप्रिय होता जा रहा है।
ऐंसे पहुंचे बालाजीपुरम्
यहां जाने के लिए साल का कोई भी मौसम ठीक है। बैतूल शहर को इंडिया का सेंटर प्वाइंट कहा जाता है। यह नागपुर तथा भोपाल के बीच स्थित है। बैतूल शहर के रेलवे स्टेशन से बालाजीपुरम् महज सात किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से आपको आ््टो रिक्शा मिल जाते हैं। जैसे ही आप बालाजीपुरम पहुंचते हैं एक भव्य गेट आपका स्वागत करता है।
देखें बालाजीपुरम का वीडियो-
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