जबलपुर। योग व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन की क्रिया है। इसके माध्यम से बड़ी-बड़ी सिद्धियां अर्जित करने की शक्ति प्राप्त होती है। योग 5000 वर्ष प्राचीन भारतीय ज्ञान का प्रमुख अंग रहा है। योग सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखने की क्रिया नहीं बल्कि वह अद्भुत शक्ति प्रदान करती है जिसे देखकर लोग आश्चर्यचकित हो उठते हैं। हठ योग के माध्यम से व्यक्ति उस अलौकिक शक्तियों को प्राप्त कर जाता है जिसे लोग चमत्कार चमझते हुए जिंदगी भर नमस्कार करते हैं। यदि आप भी किसी व्यक्ति का रोग या फिर कोई कष्ट हरना चाहते हैं तो हठयोग की साधना से उसे कर सकते हैं। आप भी इस अनूठी सिद्धि से किसी को भी वरदान दे सकते हैं। यह बात कोई अंधविश्वास नहीं बल्कि हठयोग का रहस्य है।
विलक्षण शक्ति देती है यह मुद्रा
आप लोगों ने कई बार ऐसा देखा होगा या सुना होगा कि फला संत ने देखते ही देखते उसका कष्ट दूर कर दिया। या फिर से संत, ऋिषी के वरदान से उसका भला हो गया। संत ने जिस सिद्धि से व्यक्ति के कष्टों को हरा वह है अगोचरी मुद्रा। यह मुद्रा ऐसी विलक्षणकारी है जिसे प्राप्त कर लेने से आप ऐसा कर पाने में महारथ हासिल कर सकते हैं। आप को बता दें कि यह सब संभव है योग से।
ऐसे सिद्ध होता है योग
कटनी निवासी योगाचार्य मुकेश अग्रवाल के अनुसार अगोचरी योग मुद्रा को सिद्ध करने के लिए बड़ा ही कठिन परिश्रम करना होता है। नांसिका से मात्र चार अंगुल आगे की ओर शून्य स्थान पर दोनों नेत्रों की दृष्टि को एक बिंदु पर केंद्रित करना होता है। जब यह आप लगातार करते हैं और इस विलक्षण मुद्रा को हासिल कर लेते हैं तो यह मुद्रा हठयोग के अनुसार पाप भक्षण करने में सहायक होती है। जब आप किसी का पाप हर लेंगे से स्वभाविक बात है कि फिर आप उसे वरदान देने के काबिल बन जाएंगे। इस आश्चर्यजनक योग से प्राप्त की जा सकने वाली शक्ति का वर्णन घेरण्ड संहिता में मिलता है।
योग को सिर्फ न समझें व्यायाम
यद्यपि कई लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं जहां लोग शरीर को तोड़ते-मरोड़ते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं। वास्तव में देखा जाए तो ये मुद्राएं मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमताओं की तमाम परतों को खोलने वाले ग़ूढ विज्ञान के बहुत ही सतही पहलू से संबंधित हैं। योग विज्ञान में जीवन शैली का आत्मसात किया गया है।
मिलती हैं कई शक्तियां
योग में आप जितनी महारथ प्राप्त करते जाएंगे उतनी ही आश्चर्य सिद्धियां अर्जित करते जाएंगे। आप नभो मुद्रा, महा बंध शक्तिचालिनी मुद्रा, ताडगी, माण्डवी, अधोधारण, आम्भसी, वैश्वानरी, बायवी, नभोधारणा, अश्वनी, पाशनी, काकी सहित ऐसी 25 मुद्राएं हैं जिनके माध्यम से आप ज्ञान योग या तत्व ज्ञान, भक्ति योग या परमानंद भक्ति मार्ग, कर्म योग या आनंदित कार्य मार्ग और राज योग या मानसिक नियंत्रण मार्ग प्राप्त कर सकते हैं।
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